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Oxygen Crisis: केंद्र सरकार की मुहिम आई काम, देश के स्टील प्लांटों से हुई 3131 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई

नई दिल्ली। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के स्टील प्लांट से देश में ऑक्सीजन की कमी दूर हो रही है। इन प्लांटों से 25 अप्रैल तक विभिन्न राज्यों को 3131.84 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई। 24 अप्रैल को 2894 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई थी। एक हफ्ते पहले औसतन 1500 से 1700 मीट्रिक टन प्रति दिन भेजा जा रहा था। इस्पात संयंत्र कई तरह की पहल करके ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाने में सक्षम हुए हैं। इनमें नाट्रोजन एवं आर्गन के उत्पादन में कमी और अधिकांश संयंत्रों में केवल एलएमओ का उत्पादन शामिल हैं।

आम तौर पर इस्पात संयंत्रों को अपने भंडारण टैंक में ऑक्सीजन के 3.5 दिनों के लिए सुरक्षा भंडार रखने की जरूरत होती है, जो वाष्पीकृत होता है औरऑक्सीजन संयंत्रों में कुछ समस्याएं उत्पन्न होने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस्पात उत्पादकों के साथ लगातार जुड़ाव के माध्यम से एमलएमओ आपूर्ति में महत्वपूर्ण वृद्धि के चलते सुरक्षा भंडार को पहले के 3.5 दिनों से घटाकर 0.5 दिन कर दिया गया है।

वहीं, ऑक्सीजन के परिवहन को तेज करने के लिए उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से निर्देश दिया गया है। इसमें ऑक्सीजन भेजने के लिए निश्चित संख्या में नाइट्रोजन और आर्गन टैंकरों को परिवर्तित करने के लिए कहा गया है। आज की तिथि में, 8345 मीट्रिक टन की क्षमता के साथ 765 नाइट्रोजन टैंकर हैं और 7642 मीट्रिक टन की क्षमता के साथ 434 आर्गन टैंकर हैं।

ऑक्सीजन ले जाने के लिए उनके हिस्से को परिवर्तित करने की अनुमति पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) द्वारा दी गई है। यह कदम राज्यों को एलएमओ के परिवहन में एक बड़ी बाधा को दूर करेगा। आज की तिथि में, एलएमओ के लिए 15,900 मीट्रिक टन की क्षमता के साथ 1172 टैंकर उपलब्ध हैं।

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