नई दिल्ली। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आज मौजूदा टोल व्यवस्था को खत्म करने की बड़ी घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने नए सैटेलाइट टोल कलेक्शन सिस्टम को लॉन्च करने की भी बात कही। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जल्द ही एक नई उपग्रह-आधारित टोल संग्रह प्रणाली शुरू की जाएगी। इस सिस्टम को लागू करने के पीछे टोल कलेक्शन को बढ़ाना और टोल प्लाजा पर भीड़ को कम करने का उद्देश्य है। सैटेलाइट टोल कलेक्शन सिस्टम को लागू करने में दो महीने का समय लग सकता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जल्द ही भारत में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी वाला वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम लागू किया जाएगा। सड़क और परिवहन मंत्रालय ने इस योजना के बाबत काफी पहले से ही काम करना भी शुरू कर दिया है।
सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम क्या है?
सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम जीपीएस टेक्नोलॉजी पर आधारित है। जीपीएस सिस्टम के जरिए आपने टोल रोड पर जितनी दूरी तय की होगी वो ट्रैक हो जाएगी। इस नई तकनीक के जरिए आपको कहीं भी टोल के लिए रुकना नहीं होगा बल्कि दूरी के आधार पर आपके एकाउंट से पैसा कट जाएगा। इससे टोल पर लगने वाले जाम और वाहनों की लंबी कतारों से बचा जा सकेगा तथा यात्रा के दौरान समय बचेगा।
इस तरह कटेगा पैसा
सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम कार में लगे ओबीयू यानी ऑन-बोर्ड यूनिट की सहायता से काम करेगा। इसी ओबीयू की मदद से कार से तय की गई दूरी को हाईवे पर लगे कैमरों के जरिए सैटेलाइट ट्रैक कर लेगा। जिसके बाद ओबीयू से जुड़े आपके वॉलेट या एकाउंट से पैसे कट जाएंगे।
दुनिया के इन देशों में लागू है सिस्टम
जर्मनी, हंगरी, बुल्गारिया, बेल्जियम और चेक रिपब्लिक देशों में सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम पहले से ही लागू है। अब भारत में भी यह सुविधा लागू होने जा रही है।