नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय जी-20 सम्मेलन का सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद अब इससे जुड़े प्रसंगों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। कोई इसकी सफलता की बात कर रहा है, तो कोई इससे हुए फायदे की तो कोई वैश्विक मंच पर भारत के बढ़े रुतबे की। कोई दो मत नहीं कि भारत में दो दिनी सम्मेलन संपन्न होने के बाद वैश्विक मंच पर भारत का कद बढ़ा है।
सम्मेलन में शिरकत करने वाले विभिन्न देशों के बीच कई ऐसे समझौते हुए हैं जिन्हें अगर आगामी दिनों में धरातल पर उतारा गया तो यह मानव कल्याण की दिशा में उठाया गया ऐतिहासिक कदम साबित होगा। वैसे सम्मेलन के पहले सत्र का नाम ही एक पृथ्वी और एक परिवार था। जिसकी तारीफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी की थी। खास बात यह रही कि सम्मेलन में सभी सदस्य देश शामिल हुए। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गैर-मौजूदगी में वहां के प्रधानमंत्री शामिल हुए।
इसके अलावा रूस के राष्ट्रपति यूक्रेन से जारी युद्ध की वजह से शिरकत नहीं पाए, तो अपनी जगह अपने प्रधानमंत्री को भेजा । इस बीच पीएम मोदी ने वैश्विक मंच पर एक बार फिर से यह संदेश दिया कि यह युद्ध का नहीं, बल्कि बौद्ध का युग है, जिसके अब कई कूटनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
इस बीच दो दिनी जी-20 सम्मेलन को घरेलू राजनीति के लिहाज से भी बड़ी सफलता के रूप में रेखांकित किया जा रहा है। दरअसल, जी-20 सम्मेलन के मौके पर आयोजित किए गए रात्रिभोज में कई विपक्षी नेता शामिल हुए। जिसमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार से लेकर हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सक्खू शामिल थे। इनके अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी रात्रिभोज में शामिल हुए। जिसे आगामी 2024 से पहले बीजेपी की बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में रेखांकित किया जा रहा है।
बता दें कि बीते दिनों जी-20 के रात्रिभोज में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से कई विपक्षी नेताओं को आमंत्रण पत्र भेजा गया था, लेकिन खऱगे को यह पत्र नहीं भेजा गया, जिस पर बेल्जियम दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से खऱगे को आमंत्रण पत्र नहीं भेजा गया, जबकि वो देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उधर, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर रात्रिभोज में शामिल होने पर असमर्थता जताई थी।