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Aam Aadmi Party: केजरीवाल सरकार ने ऐसे किया दिल्ली का विकास, 7 साल में विज्ञापन पर खर्च कर डाले इतने करोड़ रुपए

CM Arvind Kejriwal

नई दिल्ली। दिल्ली में लगातार चार बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है। पहली सरकार का गठन 28 दिसम्बर 2013 को हुआ जो मात्र 49 दिन तक चली और उसके बाद 15 फ़रवरी 2014 को कांग्रेस के समर्थन से दूसीर बार अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनाई यह सरकार भी 363 दिन ही चल पाई। इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद तीसरी सरकार का गठन 14 फ़रवरी 2015 में किया गया इस बार आम आदमी पार्टी बड़े बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता में आई पार्टी को 70 में से 67 सीटें हासिल हुई। 5 साल तक सरकार चलाने के बाद 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर आम आदमी पार्टी का परचम लहराया। पार्टी इस बार भी मजबूत स्थिति में सत्ता में वापसी कर चुकी है। पार्टी को 70 में से 62 सीटें हासिल हुई है जबकि इस बार 8 सीटों के साथ भाजपा विपक्ष में है।

दिल्ली की जनता को आम आदमी पार्टी का विकास मॉडल पसंद आया। फ्री की स्कीमों ने भी जनता के मन को मोह लिया। इसी का नतीजा रहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में वापसी कर पाई। लेकिन इसके साथ जिस तरह से अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी की सरकार ने जनता के पैसे को अपनी सरकार के काम के प्रचार-प्रसार के लिए खर्च किया वह आंकड़ा चौंकाने वाला है।


साल 2012-13 में आम आदमी पार्टी ने 10.11 करोड़ रुपए सरकार के विज्ञापन पर खर्च किया। यह आंकड़ा 2013-14 में बढ़कर 11.22 करोड़ हो गया। इसके बाद 2014-15 में चुनाव से ठीक पहले तक 7.37 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए गए। वहीं 2015-16 में सरकार के गठन के साथ ही पार्टी की तरफ से सरकारी कामकाज के प्रचार प्रसार के लिए किए गए विज्ञापन पर 62.03 करोड़ रुपए खर्च किए गए। साल 2016-17 में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने विज्ञापन पर 66.80 करोड़ रुपए खर्च किए तो वहीं 2017-18 में यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो चुका था इस वित्त वर्ष में अरविंद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन पर 120.30 करोड़ रुपए खर्च कर दिए।

इसके बाद 2018-19 में इस आंकड़े में कमी आई और सरकारी विज्ञापन पर केजरीवाल सरकार ने 46.90 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इसके बाद 2020 का चुनावी साल आया। ऐसे में 2019-20 के लिए विज्ञापन पर अरविंद केजरीवाल सरकार ने कई गुना ज्यादा रकम खर्च कर डाली। इस वित्त वर्ष में केजरीवाल सरकार के द्वारा विज्ञापन पर केवल 201.20 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। 2020 के मार्च महीन में कोरोना ने देश में दस्तक दी तब भी अरविंद केजरीवाल की सरकार विज्ञापन पर रोक नहीं लगा पाई। अभी तक 2020-21 के आंकड़े सही तरीके से मौजूद नहीं हैं। लेकिन जिस तरह से कोरोना काल में अरविंद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन के जरिए अपनी उपलब्धियों को जाहिर करने की कोशिश की उससे साफ पता चलता है कि यह आंकड़ा साल 2019-20 के मुकाबले कई गुणा बड़ा होगा। हालांकि 2020-21 के लिए जनवरी तक का अनुमानित आंकड़ा 177.18 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है।

ऐसे में अरविंद केजरीवाल सरकार के इस सात साल के कार्यकाल को देखें तो आपको पता चलेगा कि विकास से ज्यादा सरकार का फोकस विज्ञापन पर है। अरविंद केजरीवाल सरकार विज्ञापन के जरिए एक छोटे से प्रदेश की जनता के दिल में जगह बनाने की कोशिश लगातार करती रहती है। आपको बता दें कि लगभग 2 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश की सरकार ने 500 करोड़ से ज्यादा की रकम केवल अपने काम के विज्ञापन के लिए खर्च कर दिए। इतनी रकम के जरिए दिल्ली की जनता को विकास का एक और मानक तैयार करके दिया जा सकता था। लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार जनका के बीच अपने स्कीमों को लेकर विज्ञापने के जरिए पहुंचने का रास्ता ही सही मानती रही। यही वजह रही कि प्रदेश की जनता के टैक्स के पैसे को इतनी बड़ी मात्रा में सरकार के कामकाज के प्रचार प्रसार के लिए खर्च कर दिया गया।

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