S jaishankar : यही हमारी सभ्यता ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ है… मतभेदों के बावजूद तुर्की की मदद पर विदेश मंत्री जयशंकर ने क्या-क्या कहा ?
ऋषी नौपुत्रा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति इस समय दुनिया की सबसे बेहतरीन विदेश नीतियों में से एक मानी जा रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से भारत का पक्ष रखते हैं तो वहीं दूसरी तरफ दुनिया के किसी भी देश में जब संकट आता है तब भारत सबसे पहले मदद का हाथ आगे बढ़ा देता है। ऐसे में भारत मतभेदों को भी भुलाकर मानवीय सहायता भेजता है। तुर्की में भी भूकंप की त्रासदी के बाद भारत ने तत्काल राहत सामग्री और एनडीआरएफ की दो टीमें लोगों की सहायता के लिए रवाना कर दी। हालांकि तुर्की और भारत के बीच कश्मीर के मामले को लेकर मतभेद रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसी को भारतीय सभ्यता की मूल भावना बताया है। एस जयशंकर ने कहा, ‘हम भौगोलिक स्थितियों में रोज ही परिवर्तन देखते हैं। हालांकि भारत के संबंध सभी देशों के साथ स्थिर हैं। वसुधैव कुटुंबकम की नीति के तहत भारत हमेशा मानवता की सहायता करने के लिए सदैव तैयार रहता है।”
गौर करने वाली बात ये है कि दिल्ली में तुर्की के दूतावास ने भी अपना शोक संदेश भेजा है। तुर्की के राजदूत ने ट्वीट कर कहा, तुर्की-हिंदी दोस्त-दोस्त, दोस्ती के लिए इस्तेमाल किया जाता है। तुर्की में कहावत है कि जरूरत के समय काम आने वाला ही सच्चा दोस्त है। तुर्की में आए भूकंप के बाद अनुमान लगाया जा रह है कि कम से कम 14 हजार लोगों की मौत हुई है। अब तक 8 हजार के आंकड़े की पुष्टि हो चुकी है। वहीं राहत और बचाव का काम जारी है। तुर्की में कुल 5600 से ज्यादा इमारतें गिर गई हैं। आपदा में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस स्थिति में भारत ने 6 टन आपातकालीन राहत सामग्री और दवाओं के साथ मेडिकल टीम को भी तुर्की के लिए भेजा था।
इसके अलावा आपको बता दें कि तुर्की की सहायता करते हुए भारत ने दो ग्लोबमास्टर सी-17 के जरिए राहत सामग्री भेजी है। विदेश मंत्री ने सहायता भेजने के बाद कहा था, भारत संकट के इस समय में अपनी तरफ से एकजुटता जताता है। उन्होंने कहा था कि एडीआरएफ के 50 से अधिक कर्मी और प्रशिक्षित स्वान दस्ता, ड्रिल मशीन, राहत सामग्री और अन्य उपकरण तुर्की भेजे जा रहे हैं। कश्मीर के मुद्दे पर देता था पाक का साथ तुर्की कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा पाकिस्तान का ही साथ देता रहा है। आज स्थिति यह है कि पाकिस्तान इस हालत में नहीं है कि वह खुद की भी सहायता कर सके। 1965 और 1971 के युद्ध में भी तुर्की ने पाकिस्तान की सहायता की थी। इसके अलावा वह जब-तब कश्मीर को लेकर बयान देता रहता था। वहीं भारत 1970 से ही तुर्की की सहायता करता रहा है। तुर्की में कुर्दों के साथ युद्ध के समय भी भारत ने सैन्य मदद पहुंचाई थी।