अमृतसर। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह आखिर पंजाब पुलिस से लंबी लुकाछिपी के बाद सरेंडर करने को मजबूर हो गया। बताया जा रहा है कि शनिवार देर रात उसने मोगा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। अमृतपाल सिंह 18 मार्च से भगोड़ा था। उस दिन पुलिस ने अमृतपाल सिंह और उसके करीबियों को गिरफ्तार करने के लिए बड़ा ऑपरेशन शुरू किया था। अमृतपाल सिंह इसी साल फरवरी में तब चर्चित होने लगा, जब उसने श्री गुरुग्रंथ साहिब की बीड़ की ओट में अजनाला थाने पर समर्थकों के साथ धावा बोला था और पंजाब पुलिस पर दबाव बनाकर अपने एक साथी को रिहा करा लिया था। इसके बाद से मीडिया के सामने वो आने लगा और बयानबाजी भी खूब की। इन बयानों में कई विवादित भी थे।
अमृतपाल सिंह ने एक बयान में खुद को भारत का नागरिक होने से मना कर दिया था। अमृतपाल सिंह ने अलग खालिस्तान की मांग करके भी विवाद पैदा किया था। उसका कहना था कि अगर हिंदू राष्ट्र की मांग की जाती है, तो अलग खालिस्तान देश की मांग करना कोई गुनाह नहीं है। यहां तक कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का भी उसने इंदिरा गांधी जैसा हश्र होने की धमकी वाला बयान दिया था। 14 मार्च को अमृतपाल ने कहा था कि वो सरकारी आदेश कभी नहीं मानता। उसने कहा था कि अगर पंजाब प्रशासन और पुलिस ने तय किया है कि सिखों को निहत्था करना है, तो सिख भी सारी उम्र निहत्थे नहीं रहने वाले। ऐसे ही बयानों से अमृतपाल सिंह चर्चा में बना रहता था।
अमृतपाल सिंह पहले दुबई में रहता था। वो ड्राइवर का काम करता था। सिंगर दीप सिद्धू की मौत के बाद वो दुबई से पंजाब लौटा था और सिद्धू के बनाए संगठन वारिस पंजाब दे का मुखिया बन गया। इसके बाद उसने खुद को आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसा दिखाने की कोशिश की। हथियारबंद लोगों के बीच वो दिखने लगा था। पंजाब में युवाओं के बीच रॉबिनहुड जैसी छवि और सरबत के लिए जान लुटा देने का पैंतरा भी अमृतपाल ने चला। बयानबाजी में मनबढ़ अमृतपाल ने अपने तमाम समर्थक भी बना लिए थे। अपने खास लोगों को हथियारों की ट्रेनिंग देता था। अमृतपाल ने केजीएफ यानी खालसा फोर्स नाम से संगठन बनाने की तैयारी भी की थी। पुलिस को उसके घर से केजीएफ लिखी रायफलें, जैकेट वगैरा मिले थे।