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Partition Of India: 10 लाख का कत्ल और 1.5 करोड़ लोगों का विस्थापन, देश आज इसलिए मना रहा है ‘विभाजन विभीषिका दिवस’

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नई दिल्ली। देश आज ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मना रहा है। आज से 75 साल पहले 15 अगस्त 1947 को भारत का विभाजन हुआ था। धर्म के आधार पर पाकिस्तान बना था और भारत को 1975 के इमरजेंसी के दौरान धर्मनिरपेक्ष बना दिया गया। धर्मनिरपेक्षता अपनी जगह, लेकिन भारत के विभाजन और पाकिस्तान के अलग देश बनने के दौरान जिस खून-खराबे को तब लोगों ने झेला, उसकी दूसरी मिसाल मिलनी मुश्किल है। भारत और पाकिस्तान बनने के बाद लोग एक से दूसरे देश जाने लगे। इस दौरान जमकर हिंसा हुई। पूरे आंकड़े तो किसी के पास नहीं, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक हिंसा में करीब 10 लाख लोग मारे गए और 1.5 करोड़ लोगों को अपना घर-बार छोड़कर विस्थापित होना पड़ा।

भारत के विभाजन की ये कहानी और खून-खराबे की पटकथा साल 1946 में ही लिखी जा चुकी थी। तब मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ का एलान किया था। इस दौरान देश के कई हिस्सों में भीषण दंगे हुए। कलकत्ता (अब कोलकाता) में दंगे इतने भयानक थे कि करीब 5000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उन दंगों की विभीषिका देखकर कांग्रेस नेताओं के हाथ-पैर फूल गए और आखिरकार उनको भारत के बंटवारे का जिन्ना का दबाव मानना पड़ा।

अंग्रेजों ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जो दरार पैदा की, उसने भारत विभाजन के दौरान विभीषिका और खून बहाने का काम किया। भारत के विभाजन की योजना को ‘माउंटबेटन योजना’ का नाम दिया गया। ये योजना 3 जून 1947 को बनाई गई। लंदन से सर सिरिल रेडक्लिफ भारत आए और उन्होंने तत्कालीन अखंड भारत के नक्शे पर लाल कलम से भारत और पाकिस्तान की सीमाएं खींच दीं। हिंदू बहुल वाले इलाकों को भारत और मुस्लिम बहुल इलाकों को रेडक्लिफ ने पाकिस्तान को दे दिया। फिर 18 जुलाई को ब्रिटिश संसद में भारत की आजादी का एक्ट पास किया गया और 14 अगस्त को पाकिस्तान में जिन्ना ने गवर्नर जनरल और 15 अगस्त को जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले पीएम के तौर पर शपथ ली।

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