नई दिल्ली। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले में अवैध निर्माण मामले में दो इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया है। दोनों इंजीनियर प्रदीप परमार और अभिषेक राज पहले पीडब्ल्यूडी में तैनात थे। प्रदीप कुमार फिलहाल गुवाहाटी और अभिषेक राज खड़गपुर में तैनात हैं। इन दोनों इंजीनियरों पर आरोप है कि सभी नियमों को दरकिनार करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले में अवैध निर्माण कार्य कराया था। इस मामले की सीबीआई जांच भी चल रही है।
CPWD ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले में अवैध निर्माण मामले में दो इंजीनियरों को सस्पेंड किया है। दोनों इंजीनियर प्रदीप परमार और अभिषेक राज पहले PWD में तैनात थे और अब गुवाहाटी और खडगपुर में तैनात है।
इन दोनों इंजीनियरों ने बेवजह जल्दी दिखाते हुये सभी नियमों… pic.twitter.com/KVR3fr6axo
— Jitender Sharma (@capt_ivane) August 10, 2024
विजिलेंस डिपार्टमेंट ने मई 2023 को अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले और इस बंगले के कैम्पस में ही बने ऑफिस की मरम्मत को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि पुराने बंगले की मरम्मत के लिए बजट आवंटित हुआ मगर मरम्मत की जगर पुराने बंगले को गिराकर नया बंगला बनाया गया। इसमें कई तहर के अवैध निर्माण भी किए गए और इस पूरी निर्माण प्रक्रिया में बंगले पर 52.71 करोड़ रुपए खर्च हुए। एलजी वीके सक्सेना ने भी इस मामले में कहा था कि पुराने घर की मरम्मत और रखरखाव के नाम पर अरविंद केजरीवाल के लिए नए बंगले के निर्माण में सभी नियमों और कानूनों को दरकिनार किया गया।
सरकारी बंगले में यह निर्माण कार्य कोरोना काल के दौरान 1 सितंबर 2020 से लेकर 30 दिसंबर 2021 तक चला था। बीजेपी ने केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा था कि ये कोरोनाकाल में मुख्यमंत्री की संवेदनहीनता का एक बहुत बड़ा प्रमाण है। इसके साथ ही बीजेपी ने दिल्ली सीएम हाउस को ‘केजरीवाल का शीशमहल’ बताया भी था। आपको बता दें कि 2013 में जब दिल्ली में आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तब सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक छोटे से सरकारी फ्लैट को अपना घर बनाया था। इसके बाद फरवरी 2015 में जब केजरीवाल पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आए तब उन्होंने सिविल लाइंस के 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगले को अपने सरकारी आवास के लिए चुना था।