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Ayodhya Ramlala Consecration Ceremony: प्राण प्रतिष्ठा के बाद इन 7 लोगों को होंगे रामलला के पहले दर्शन, मंदिर के 2 तल तैयार कर मूर्तियों को सुनाए जा रहे वेदमंत्र; जानिए कैसे होगा अभिषेक

ayodhya ram temple

अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में राम मंदिर का भूतल और पहला तल बनकर तैयार हो चुका है। भूतल पर रंग मंडप, नृत्य मंडप और गर्भगृह बन चुका है। पहले तल के पूरा होने के बाद अब अन्य तलों का निर्माण शुरू होने जा रहा है। गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा के लिए श्याम वर्ण के पत्थर से बनी भगवान रामलला की मूर्ति का चुनाव भी हो चुका है। तीन अलग-अलग मूर्तिकारों ने भगवान रामलला की मूर्तियां तैयार की हैं। बाकी 2 मूर्तियों को भी राम मंदिर में रखा जाएगा। फिलहाल कार्यशाला में भगवान रामलला की तीनों मूर्तियों के सामने वेदपाठ किया जा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने रामलला की मूर्ति और मंदिर के बारे में और जानकारी शनिवार को मीडिया से साझा की।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी का दिन चुना गया है। इस दिन प्राण प्रतिष्ठा के लिए महज 84 सेकेंड का समय मिलेगा। इसी कम समय में पीएम नरेंद्र मोदी के हाथ प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम तय किया गया है। भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद सबसे पहले 7 लोगों को उनके दर्शन करने का मौका मिलेगा। इन 7 लोगों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी यानी पिछड़ा वर्ग के लोग भी शामिल होंगे। इस तरह पहले दर्शन के लिए समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का जरूरी काम किया जाएगा और साथ ही ये संदेश भी जाएगा कि भगवान राम सभी हिंदुओं के आराध्य देवता हैं।

भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम नरेंद्र मोदी मंदिर परिसर में ही एक सभा को संबोधित करेंगे। इस सभा में 8000 नामचीन लोग और संत मौजूद रहेंगे। मोदी की सभा के लिए मंदिर परिसर में निर्माण कार्य में लगाई गईं 2 क्रेनों को हटाने का काम किया जाएगा। वहीं, सोने के पत्तरों से जड़े राम मंदिर के दरवाजे भी 16 जनवरी तक लगा दिए जाएंगे। इसी तारीख से प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित कार्यक्रमों को शुरू किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भगवान रामलला की मूर्ति की आंखों में बंधी पट्टी खोलकर सोने की शलाका से घी और शहद के मिश्रण को उनकी आंखों के स्थान पर लगाया जाएगा। इससे पहले रामलला की प्रतिमा का सभी तीर्थों के जल में आम, गूलर, पाकड़ और शालमली पेड़ों की छाल से बने काढ़े से अभिषेक भी किया जाएगा।

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