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UP Election 4th Phase: यूपी के दलित बहुल इलाकों में आज वोटिंग, योगी और मोदी के कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर

Modi, yogi and Rajnath

लखनऊ। यूपी में आज चौथे दौर के मतदान में 59 सीटों के लिए बीजेपी, सपा, बीएसपी और कांग्रेस के बीच जंग है। इस दौर का चुनाव अवध और बुंदेलखंड के कुछ इलाके में हो रहे हैं। यहां से कई दिग्गज नेता मैदान में हैं। चौथे दौर में योगी सरकार के 4 मंत्रियों की इज्जत दांव पर है। वहीं, सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली में कांग्रेस को अपनी प्रतिष्ठा बचानी है, क्योंकि कांग्रेस को अलविदा कह चुकीं अदिति सिंह यहां से अब बीजेपी की उम्मीदवार हैं। जिन इलाकों में आज वोटिंग हो रही है, वो दलित वोटर बहुल हैं। सीतापुर में सबसे ज्यादा 32 फीसदी दलित हैं। वहीं, रायबरेली, उन्नाव और हरदोई में 30 फीसदी और लखनऊ में 21 फीसदी दलित वोटर हैं।

पहले बात करते हैं लखनऊ की सरोजनीनगर सीट की। यहां से पिछली बार स्वाति सिंह बीजेपी के टिकट पर जीतकर योगी सरकार में मंत्री बनी थीं। उनका अपने पति और बीजेपी उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह से कथित टकराव हुआ। नतीजे में स्वाति का टिकट काटकर बीजेपी ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के ज्वॉइंट डायरेक्टर पद से इस्तीफा देने वाले राजेश्वर सिंह को मैदान में उतारा है। उनके सामने सपा की तरफ से अखिलेश सरकार में मंत्री रहे अभिषेक मिश्रा हैं। इसी तरह लखनऊ कैंट सीट से योगी के मंत्री और कद्दावर नेता ब्रजेश पाठक चुनाव लड़ रहे हैं। वो पिछली बार लखनऊ मध्य सीट से जीते थे। योगी के एक और मंत्री आशुतोष टंडन उर्फ गोपालजी लखनऊ पूर्व सीट से मैदान में उतरे हैं। ऊंचाहार सीट से बीजेपी ने प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य को टिकट दिया है। उनके सामने सपा के मनोज पांडेय हैं।

इस दौर के चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी जनता के हवाले है। ये मंत्री कद्दावर हैं और इनपर अपने क्षेत्र में कमल का फूल खिलाने की जिम्मेदारी है। मोदी के इन मंत्रियों में सबसे अहम राजनाथ सिंह हैं। राजनाथ रक्षा मंत्री हैं और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। लखनऊ की सभी 9 सीटें जिताने का काम उन्हें करना है। मोदी सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी को अमेठी की सीटें जितानी होंगी। वहीं, मोहनलालगंज के सांसद और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर को अपने इलाके और लखीमपुर खीरी से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को अपने इलाके में बीजेपी उम्मीदवारों को जिताना होगा। टेनी के सामने बड़ी दिक्कत ये है कि उनके बेटे पर किसानों को जीप से कुचलकर मार डालने का आरोप है और लखीमपुर खीरी किसान आंदोलन के गढ़ में से एक रहा है। ऐसे में टेनी किस तरह यहां बीजेपी की नैया पार लगाते हैं, इसपर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं।

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