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Narendra Dabholkar Murder Case : नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में 11 साल बाद आया फैसला, हत्या के पीछे ये था कारण

Narendra Dabholkar Murder Case : पुणे की एक विशेष अदालत ने मुख्य आरोपी वीरेंद्र सिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। जबकि आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले में 11 साल बाद आज आदालत ने फैसला सुना दिया। पुणे की एक विशेष अदालत ने मुख्य आरोपी वीरेंद्र सिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को बरी कर दिया। जबकि आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।

इस हत्याकांड ने पूरे देश भर को हिलाकर रख दिया था। 20 अगस्त 2013 की सुबह, दाभोलकर अपने घर से सैर के लिए निकले थे। लगभग 7 बजकर 15 मिनट पर बाइक सवार हमलावरों ने उनको मौत के घाट उतार दिया था। सीबीआई का मानना है कि दाभोलकर की हत्या के पीछे की मुख्य वजह महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति और सनातन संस्था के बीच का टकराव है। नरेंद्र ने अधंविश्वास के खिलाफ अभियान शुरू किया था। सनातन संस्थान इस अभियान की विरोधी थी। संस्था को दाभोलकर की समिति द्वारा किए जाने वाले समाज सुधार कार्यों पर भी आपत्ति थी। इस मामले में गिरफ्तार वीरेंद्र तावड़े सनातन संस्था से जुड़ा हुआ था। लेकिन सबूतों के अभाव में उसे बरी करना पड़ा।

सीबीआई की विशेष अदालत के जज ए.ए. जाधव ने इस केस में फैसला सुनाया है। साल 2014 में यह केस सीबीआई को सौंपा गया था। इस दौरान 11 साल में कुल 22 गवाहों के बयान दर्ज किए गए वहीं सौ से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगाली गईं। इतना ही नहीं इस हत्याकांड की तह तक पहुंचने के लिए पुणे-ठाणे की जेल में बंद कई कैदियों से पूछताछ भी की गई। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ने केस की गहन पड़ताल करने के बाद साल 2016 में चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद आठ साल की सुनवाई, गवाहों के बयान और दलीलों के बाद केस में फैसला सुनाया गया।

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