नई दिल्ली। फाइव स्टार होटल मैरिएट पर अधिकार जताने वाली हैदराबाद स्थित तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड की याचिका को तेलंगाना उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। इस संबंध में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति अनिल कुमार जुकांति की खंडपीठ ने वक्फ बोर्ड के खिलाफ निषेधाज्ञा जारी करते हुए कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड द्वारा बेदखली की कार्यवाही शुरू करना अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
यह प्रकरण तब संज्ञान में आया जब याचिकाकर्ताओं वायसराय होटल्स, जिसे अब मैरियट के नाम से जाना जाता है, ने राज्य वक्फ बोर्ड की कार्रवाइयों को चुनौती दी और 1995 के वक्फ अधिनियम की धारा 54 के तहत कार्यवाही शुरू करने की मांग की। यह मामला साल 1958 का है जब तेलंगाना के वक्फ बोर्ड ने वक्फ अधिनियम 1954 के तहत एक जांच की, जिसमें 5 अक्टूबर 1958 को यह निर्धारित किया गया कि फला संपत्ति वक्फ की नहीं थी। हालाँकि, इसके बाद भी इसे लेकर समय-समय पर कई दावे किए गए।1964 में अब्दुल गफूर नाम के एक व्यक्ति ने इस संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताने वाला एक मुकदमा दायर किया। 1968 में उच्च न्यायालय के आदेश सहित कानूनी चुनौतियों और अदालती हस्तक्षेपों के बावजूद, वक्फ बोर्ड अपने दावों पर कायम रहा।
इस बीच, वक्फ बोर्ड ने संबंधित संपत्ति को नोटिस जारी करते हुए कार्यवाही शुरू की। सबसे हालिया कार्रवाई 2014 में की गई। पिछले अदालती फैसलों और याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बावजूद, वक्फ बोर्ड ने कार्रवाई करते हुए इस संपत्ति पर अपना दावा ठोका। याचिकाकर्ताओं ने, वक्फ बोर्ड द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मंशा दर्शाने वाली एक अखबार की रिपोर्ट से चिंतित होकर, कोर्ट के पिछले निर्णयों को उजागर करते हुए, इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी। हालाँकि, इसके बावजूद वक्फ बोर्ड ने कानूनी कार्यवाही को आगे बढ़ाया, जिसके बाद वक्फ की कार्यवाही को चुनौती देने वाली वर्तमान रिट याचिकाएँ दायर की गईं।