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Irony: ED के छापों से तिलमिलाई राणा अयूब अब अमेरिकी अखबार में कर रही देश को बदनाम, वाशिंगटन पोस्ट में देश विरोधी एजेंडा

rana ayyub

नई दिल्ली। अमेरिकी मीडिया किस तरह भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने और कानूनों का उल्लंघन करने वालों का समर्थन करने में जुटा हुआ है, इसकी एक बानगी फिर सामने आई है। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने कथित पत्रकार और बिना पुख्ता सबूत के मोदी सरकार पर लगातार निशाना साधने वाली राणा अयूब को एक पूरे पेज में जगह दी है। इस पेज में बताया गया है कि राणा अयूब को करीब हर दिन मौत की धमकी का सामना करना पड़ता है। इसमें ये भी लिखा गया है कि राणा अयूब के खिलाफ पहले से निष्कर्ष वाली जांच होती रहती है और चैरिटी करने की कोशिश करने पर उनका बैंक खाता भी सीज कर दिया गया है।

अब आपको बताते हैं कि राणा अयूब के पक्ष में वॉशिंगटन पोस्ट का ये प्रचार किस तरह भारत विरोधी और गलत है। दरअसल, बीते दिनों प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने राणा अयूब, उनके पिता और एक रिश्तेदार के बैंक खाते सीज कर लिए थे। ईडी ने जांच में पाया था कि राणा अयूब ने चैरिटी करने के लिए लोगों से पैसे इकट्ठा किए और फिर उन पैसों को अपने पिता और खुद के नाम पर एफडी करा ली। इनकम टैक्स एक्ट के तहत ये गलत है। इससे पहले इसी रकम पर राणा अयूब इनकम टैक्स तक नहीं देना चाह रही थीं। मामले को अपने पक्ष में करने के लिए राणा ने मिली रकम में से कुछ हिस्सा पीएम केयर्स फंड में भी दे दिया था, लेकिन अच्छी खासी रकम दबा ली।

अब आपको बताते हैं कि राणा अयूब आखिर कौन हैं। राणा खुद को पत्रकार कहती हैं और विदेशी अखबारों में उनके लेख छपते हैं। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के सीएम थे, तो राणा अयूब ने गुजरात दंगों में उनका हाथ बताते हुए एक किताब लिखी थी। इस किताब का मसला जब सुप्रीम कोर्ट गया, तो राणा अयूब ने कोर्ट के पूछने पर माना कि बिना पुख्ता सबूत के उन्होंने मोदी और उनकी सरकार का दंगे में हाथ होने की बात किताब में लिखी थी। कोरोना काल में भी राणा अयूब ने नदी के किनारे लाशों को दफनाए जाने की कहानी विदेशी अखबारों में लिखी, जबकि हकीकत ये है कि लाशें बहुत पहले दफनाई गई थीं। कुल मिलाकर देश के खिलाफ विदेश में दुष्प्रचार करने की वजह से राणा अयूब लगातार चर्चा में रहती हैं।

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