नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी. आर. गवई ने याचिकाकर्ता से कहा कि हम पर तो पहले ही कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखल देने के आरोप लग रहे हैं और आप चाहते हैं कि शीर्ष अदालत राष्ट्रपति को निर्देश दे कि वो बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाएं। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की है। उन्होंने बंगाल में हुई हिंसा की हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पहले तमिलनाडु सरकार और वहां के राज्यपाल से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि विधानसभा द्वारा भेजे गए बिल पर राज्यपाल को एक महीने के अंदर निर्णय लेना होगा, राज्यपाल के पास वीटो पावर नहीं है। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय की और कहा कि किसी बिल पर राष्ट्रपति को 3 महीने में फैसला करना होगा। सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति को निर्देश देने वाली टिप्पणी को लेकर विवाद शुरू मचा हुआ है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ पहले ही सुप्रीम कोर्ट से नाराजगी जताते हुए आलोचना कर चुके हैं। वहीं बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भी सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस को लेकर टिप्पणी की है जिसके बाद से विवाद और बढ़ गया है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना में हिंसक प्रदर्शन हुए जिनमें एक पिता और पुत्र समेत तीन लोगों की जान चली गई। इन हिंसक घटनाओं में कई लोग घायल भी हुए हैं जिनमें बहुत से पुलिसकर्मी हैं। मुर्शिदाबाद में कई हिंदू परिवार अपना घर छोड़कर पलायन करने को मजबूर हैं। बहुतों ने राहत शिविर में शरण ले रखी है। इन्हीं सब हालात को देखते हुए पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग उठ रही है। हाल ही में बीजेपी नेता की याचिका पर पश्चिम बंगाल हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बलों को तैनात करने का आदेश दिया था।