नई दिल्ली। हर साल की तरह आज मंगलवार, 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। साल 1999 में आज ही के दिन भारत के शूरवीरों ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए पाकिस्तानी फौज को रणभूमि में मात दी थी। यही वो दिन था जब वीर जवानों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर वहां देश की आन-बान और शान तिरंगे को फहराया था। पाकिस्तानी फौज के सामने मिली इसी भारतीय सेना की जीत को ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया।
6 पॉइंट्स में जानें कारगिल युद्ध की वीरता की कहानी
1. छिपकर बैठे थे घुसपैठिए- बताया जाता है कि 3 मई 1999 को एक स्थानीय चरवाहा जो कि अपने नए याक की खोज में कारगिल के पहाड़ी क्षेत्र में इधर-उधर घूम रहा था तभी उसे वहां कई हथियारबंद पाकिस्तानी सैनिक नजर आए। उस चरवाहे का नाम ताशी नामग्याल था। ताशी ने जैसे ही वहां पाकिस्तानी सैनिकों को देखा तो उसने इसकी जानकारी सेना के अधिकारियों को दी। इसके बाद 5 मई के दिन इलाके में घुसपैठ की खबरों की जवाबी कार्यवाही में भारतीय सेना के जवानों को उस जगह भेजा गया। इस दौरान हमारे पांच सैनिक शहीद भी हो गए थे।
2. ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत- कुछ दिन बाद ही पाकिस्तानी सैनिक अच्छी खासी संख्या में कारगिल में अपनी जगह बना चुके थे। ऐसे में 9 मई 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से भारतीय सेना के गोला-बारूद डिपो को निशाना बनाया गया और ताबड़तोड़ गोलाबारी की गई। एक दिन बाद यानी 10 मई तक ये पाकिस्तानी LOC के पार द्रास और काकसर सेक्टरों समेत जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों में घुसपैठ कर चुके थे। जैसे ही भारतीय सैनिकों की इसकी भनक लगीं तो सेना के जवानों की तरफ से ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की गई। इस ऑपरेशन में घुसपैठियों के इरादों को नाकाम करने और इलाके पर फिर से काबू करने के लिए कश्मीर घाटी से अधिक संख्या में सैनिकों को कारगिल जिले के लिए ले जाया गया था।
3. भारतीय वायुसेना का वार- 26 मई ये वो दिन था जब भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने जवाबी कार्रवाई करते हुए घुसपैठियों पर हवाई हमला करना शुरू कर दिया है। भारतीय सैनिकों की कार्रवाई को देखते हुए 1 जून को पाकिस्तानी सेना ने हमलों की रफ्तार तेज करते हुए नेशनल हाइवे 1 को निशाना बनाया। हालांकि, भारतीय वीरों ने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन किया और 9 जून तक जम्मू-कश्मीर के बटालिक सेक्टर में दो प्रमुख चोटियों पर दोबारा अपना कब्जा कर दिखाया।
4. जीत की ओर- इतना ही नहीं 13 जून को टोलोलिंग चोटी पर भी भारतीय सेना ने फिर से कब्जा कर लिया। 20 जून तक भारतीय सेना टाइगर हिल के आसपास के ठिकानों और फिर 4 जुलाई तक टाइगर हिल पर भी दोबारा अपना अधिकार जमाने में कामयाब हुई।
5. अंतरराष्ट्रीय दबाव- जब ये सब चल रहा था तब तक फ्रांस और अमेरिका जैसे देश पाकिस्तान को भारत के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए जिम्मेदार ठहरा चुके थे। भारत की तरफ से 5 जून को दस्तावेज भी जारी किए गए जिनमें पाकिस्तानी सेना का हमले में हाथ होने के पुख्ता सबूत थे।
6. 26 जुलाई को ‘ऑपरेशन विजय’ हुआ पूरा– जैसे ही भारतीय सेना को इस ऑपरेशन में जीत मिली तो 14 जुलाई को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सेना के ‘ऑपरेशन विजय’ के सफलतापूर्वक पूरा होने की जानकारी दी। इसी जीत के साथ 26 जुलाई को पाकिस्तानी सेना के घुसपैठ वाली सभी चोटियों को फिर से अपने कब्जे में लेकर भारत इस युद्ध में जीता।