श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की मदद करने वालों पर अब एनिमी एजेंट्स एक्ट के तहत पुलिस कार्रवाई कर सकती है। ये कानून यूएपीए से ज्यादा कठोर और खतरनाक है। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी आरआर स्वेन ने ये जानकारी दी।
डीजीपी ने बताया कि साल 1948 में जब पाकिस्तान के सैनिकों ने कबायलियों के वेश में जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था, उस वक्त एनिमी एजेंट्स एक्ट लागू किया गया था। डीजीपी आरआर स्वेन ने बताया कि एनिमी एजेंट्स एक्ट के तहत कम से कम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। जबकि, अधिकतम मौत की सजा दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जो भी आतंकियों की मदद करता मिलेगा, उनको एनिमी एजेंट्स माना जाएगा। अब तक जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगारों पर कभी ये कानून नहीं लगा है। जबकि, आए दिन आतंकियों के मददगार और दहशतगर्दी करने वाले संगठनों के ओवरग्राउंड वर्कर्स हथियारों के साथ गिरफ्तार होते हैं।
#WATCH | Jammu: J&K DGP RR Swain says, “… In J&K we have a special law called Enemy Agents Act/ Ordinance, which was made when foreign invaders/raiders, especially Pakistanis, enter India and try to destabilise the system, as they call it, ‘to disturb and destabilise the… pic.twitter.com/iwPI3y6byY
— ANI (@ANI) June 23, 2024
बीते दिनों जब रियासी में हिंदू तीर्थयात्रियों की बस पर बड़ा आतंकी हमला हुआ और 9 लोगों की जान गई, तब भी इस घटना को करने वाले आतंकियों के कुछ मददगारों को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया। जम्मू संभाग के इलाकों में 9, 10 और 11 जून को आतंकियों ने लगातार हमले किए थे। 9 जून को मोदी सरकार के शपथग्रहण के दिन रियासी में तीर्थयात्रियों को निशाना बनाया गया था। 10 जून को आतंकी कठुआ के एक गांव में घुस आए थे। वहां मुठभेड़ में 1 आतंकी मारा गया था। जबकि, 11 जून को डोडा में सेना की पोस्ट पर आतंकियों ने हमला किया था। इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक की थी। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समूल नष्ट करने के तौर तरीकों पर चर्चा हुई थी। माना जा रहा है कि इस बैठक में ही आतंकियों के मददगारों पर एनिमी एजेंट्स एक्ट लगाने का फैसला किया गया।