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Radha Soami Satsang Beas: क्या है राधास्वामी सत्संग ब्यास, जहां पहुंच PM मोदी ने की बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो से मुलाकात

Radha Soami Satsang Beas: बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो राधा स्वामी ब्यास के पांचवे प्रमुख है। पिछले 32 सालों से वह डेरा प्रमुख की जिम्मेदारी लिए हुए हैं। मोदी का पंजाब के ब्यास स्थित सत्संग का का दौरा काफी अहम बताया जा रहा हैं। तो चलिए जानते है कि आखिर क्या है राधा स्वामी ब्यास औऱ इसकी स्थापना क्यों है इतनी मशहूर

नई दिल्ली। भाजपा की तरफ से पीएम मोदी आज कल विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं। पीएम शनिवार को पंजाब के अमृतसर पहुंच गए हैं जहां मोदी ब्यास स्थित सत्ंसंग के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो से मुलाकात करेंगे। बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो राधा स्वामी ब्यास के पांचवे प्रमुख है। पिछले 32 सालों से वह डेरा प्रमुख की जिम्मेदारी लिए हुए हैं। मोदी का पंजाब के ब्यास स्थित सत्संग का का दौरा काफी अहम बताया जा रहा हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राधा स्वामी सत्संग ब्यास का दौरा किया। इस दौरान उनके साथ बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो भी मौजूद रहे। तो चलिए जानते है कि आखिर क्या है राधा स्वामी ब्यास औऱ इसकी स्थापना क्यों है इतनी मशहूर-

राधास्वामी सत्संग ब्यास क्या है

आरएसएसबी अपने देश-विदेश के अनुयायियों संगठन से धार्मिक बना हुआ है। इनके अनुयायी देशों और विदेशों में फैले हुए है, राधास्वामी पंथ काफी पुराना है। हमारे भारतीय भाषा में राधास्वामी का मतलब आत्मा का स्वामी होता है। सत्संग एक ऐसे समूह या ग्रुप का व्याख्यान करता है जो सच की तलाश करता है। भारत में कई दूसरे भी समकालीन संगठन हैं जो राधास्वामी नाम का प्रयोग करते है, लेकिन राधास्वामी सत्संग ब्यास उनमें से किसी संगठन से नहीं जुड़ा है, इसकी विशेषता बहुत अलग है।

राधास्वामी सत्संग ब्यास की स्थापना

राधास्वामी सत्संग ब्यास की स्थापना भारत में राधास्वामी सत्संग ब्यास की स्थापना साल 1891 में हुई थी। धीरे- धीरे यह दूसरे देशों में भी फैलने लगी। दुनिया भर में 90 से अधिक देशों में राधास्वामी सत्संग ब्यास सत्संग करता है। यह एक गैर लाभकारी संगठन है जिसका किसी भी राजनीतिक या व्यावसायिक संगठन से कोई लेना देना नहीं है। यह सबसे पुराना संगठन है। इस संगठन में कई अनुयाई जुड़े हुए है। हर साल लाखों की संख्या में अनुयाई इस संगठन से जुड़ते है। यह सभी धर्मों की इज्जत करते हैं, साथ ही यहां रुहनियत की उच्च शिक्षा दी जाती है।

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