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Assam-Mizoram border dispute: असम-मिजोरम सीमा विवाद ने लिया गंभीर रूप, जानिए कितना पुराना है दोनों राज्यों का ये मसला

गुवाहाटी। असम और मिजोरम के सीमा विवाद (Assam-Mizoram border dispute) ने सोमवार को गंभीर रूप ले लिया। असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर बताया है कि मिजोरम पुलिस ने लाइट मशीनगन से फायरिंग की। जिससे 6 पुलिसवालों की जान गई और एक एसपी समेत करीब 80 लोग घायल हुए। दरअसल, ये विवाद ताजा नहीं है। दोनों के बीच करीब 150 साल से ये सीमा विवाद चल रहा है। असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद की वजह साल 1875 में अंग्रेजी राज के दौरान जारी एक अधिसूचना है। उस वक्त अंग्रेजों ने लुशाई पहाड़ियों को असम के कछार से अलग कर दिया था। लुशाई पहाड़ियों के नाम से पहले असम का जिला था। असम और मिजोरम के बीच करीब 164 किलोमीटर की सीमा है। सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिश 1955 से जारी है, लेकिन दोनों राज्यों का अड़ियल रुख इसमें बाधा बन जाता है।

मिजोरम सरकार अंग्रेजों के वक्त जारी अधिसूचना के मुताबिक यहां अपनी सीमा का दावा करती है। जबकि, असम सरकार कहती है कि 1933 में बनी सीमा के हिसाब से इलाका उसका है। कुल मिलाकर 1318 वर्ग किलोमीटर की जमीन दोनों राज्य अपना बताते हैं। सारा झगड़ा इसी का है। बता दें कि 1875 की अधिसूचना बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन कानून के तहत लाया गया था। वहीं, 1933 में आई अधिसूचना के दौरान सभी पक्षों से बात नहीं की गई थी। जिसकी वजह से मिजोरम इसका विरोध करता है।

विवादित जगह पर मिजोरम के आइजॉल, ममित और कोलासिब आते हैं। जबकि, असम के कछार, हैलाकांदी और करीमगंज जिले भी यहां हैं। 2020 में भी यहां के लोगों के बीच हिंसा हुई थी। तब 8 लोग घायल हुए थे, लेकिन इस बार मामला इतना बढ़ गया कि असम पुलिस के जवानों पर मिजोरम पुलिस ने फायरिंग की और 6 की जान चली गई। राज्य के सीएम रहे और अब मोदी सरकार के मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने 2018 में इस मसले पर केंद्र को चिट्ठी भी लिखी थी।

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