नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध रामपुर तिराहा पहुंचे। सीएम ने यहां स्थित उत्तराखंड शहीद स्मारक का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड राज्य आदोलन में अपनी जान गवाने वाले शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जब भी हम यहां आते हैं, हम प्रतिज्ञा करते हैं और वादा करते हैं कि हम अपने उत्तराखंड आंदोलनकारियों के सपनों को पूरा करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे, जिन्होंने राज्य की प्राप्ति के लिए खुद को बलिदान कर दिया।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>Muzaffarnagar, Uttar Pradesh: Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami visited the Uttarakhand Martyrs' Memorial at Rampur Tiraha, where he paid tribute to those who were martyred while demanding a separate state for Uttarakhand. <br><br>After paying his respects, he says, "Every… <a href=”https://t.co/cDOq9cEKpr”>pic.twitter.com/cDOq9cEKpr</a></p>— IANS (@ians_india) <a href=”https://twitter.com/ians_india/status/1841375867605331979?ref_src=twsrc%5Etfw”>October 2, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
क्या है रामपुर तिराहा कांड?
साल 1994 में एक अक्टूबर की रात और दो अक्टूबर को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे में जो हुआ वो देश के इतिहास में एक काला धब्बा है। दरअसल उत्तराखंड को अलग राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने की रणनीति बनाई। इसी के तहत कुमायूं और गढ़वाल मंडल के सैंकड़ों की संख्या में लोग बसों में सवार होकर दिल्ली के लिए निकले। इन आंदोलनकारियों को पुलिस ने मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर रोक लिया। पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़प भी हुई।
आरोप लगे कि 1 अक्टूबर देर रात कई पुलिसकर्मियों ने आंदोलनकारी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म भी किया। इसके बाद सुबह होते होत वहां और संख्या में आंदोलनकारी पहुंच गए और पुलिस पर पथराव कर दिया। इसके बाद पुलिस ने गोलीबारी शुरू कर दी जिसमें 7 आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। बाद में यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा जहां सीबीआई जांच का आदेश दिया गया। बाद में हाईकोर्ट ने एक पुलिसकर्मी को सात साल जबकि दो अन्य को दो-दो साल की सजा सुनाई। इन आंदोलनकारियों को ही श्रद्धांजलि अर्पित करने उत्तराखंड का हर मुख्यमंत्री 2 अक्टूबर को रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक आता है।