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Gyanvapi Mosque Wudu: क्या होता है वजूखाना, जहां ज्ञानवापी मस्जिद में मिला है शिवलिंग, जानिए इसके बारे में सबकुछ

vaju khana

नई दिल्ली। बीते कुछ समय से वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहा विवाद जोरो पर है। मामला फिलहाल कोर्ट में है लेकिन मस्जिद के लेकर तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं। जांच में मस्जिद के वजू खाने में मिली चीज को शिवलिंग बताया जा रहा है। हिंदू धर्म इसे शिवलिंग बताने में लगा है तो वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष से फव्वारा बताने में लगा है। दोनों पक्षों की इस रस्सा-कसी के बीच वजू खाना शब्द बार-बार सुनने को मिल रहा है। तो चलिए जानते हैं क्या होता है वजू खाना, किस लिए किया जाता है इसका इस्तेमाल और वजू करना क्या होता है…

सबसे पहले जानते हैं क्या होता है वजू करना?

इस्लाम धर्म में ये मान्यता है कि कभी भी नमाज पढ़ने से पहले या फिर अल्लाह की इबादत करने से पहले वजू करना अनिवार्य होता है। बिना वजू के अल्लाह से आप सीधे संपर्क नहीं किया जा सकता। वजू के बिना इबादत या नमाज कबूल नहीं होती। इस्लाम में इबादत करने से पहले सही तरीके से वजू करने के लिए कहा जाता है। वजू करने का एक अलग तरीका होता है, इसमें शरीर के अलग-अलग हिस्सों को पानी की सहायता से साफ किया जाता है। वजू में शरीर के जिन जिन हिस्सों को साफ किया जाता है उनमें हाथ, पैर, मुंह, बांह आदि शामिल होते हैं।

क्या हर बार वजू जरूरी होता है?

इस्लाम में ऐसी मान्यता है कि इबादत से पहले व्यक्ति को पूरी तरह से साफ-सुथरा होना चाहिए। कपड़े भी साफ-सुथरे होने चाहिए। वजू को नियाह (Niyyah) भी कहा जाता है। इस्लामिक धार्मिक गुरु प्रोफेट मोहम्मद ने वजू को लेकर कहा है कि, खुद की सफाई करना ही इबादत का आधा हिस्सा है। मुस्लिमों को हमेशा नमाज से पहले खुद को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए साथ ही अल्लाह के आगे हमेशा साफ कपड़ों में ही होना चाहिए। दिन में पांच बार नमाज पढ़ने की मान्यता है, हालांकि हर बार वजू जरूरी नहीं होता। अगर आप शौच यानी बाथरूम, खून के संपर्क में आने या फिर नींद के बाद नमाज पढ़ने जाते हैं तो इस दौरान आपको वजू करना जरूरी होता है।

क्या है वजू करने का तरीका

कहा ये भी जाता है कि वजू करने से पहले बिस्मिल्लाह शब्द कहा जाता है। जिसका अर्थ ये होता है कि अल्लाह के नाम पर…इसके बाद ही वजू किया जाता है।

क्या होता है वजू खाना?

जैसा कि हम आपको ये बता ही चुके हैं कि वजू करने का मतलब खुद के शरीर को पानी से साफ करना होता है। तो ये वजू जहां किया जाता है उस जगह को ही वजू खाना कहा जाता है। वजूखाने में पानी से भरा एक छोटा तालाब होता है। इस जगह पर नमाजी वजू करते हैं। कई जगहों पर इसके लिए नल की सुविधा होती है। जहां पर कुल्ला आदि किया जाता है। नमाज पढ़ने से पहले इस पानी के पास बैठकर मान्यता के मुताबिक, अपने हाथों और पैरों को धोते हैं। कई जगहों पर वजू खाने में फव्वारे लगाए जाते हैं क्योंकि इसका पानी लगातार रिसाइकिल किया जाता है।

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