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Tejashwi Yadav: ‘अतीक जी के साथ जो कुछ हुआ’, तेजस्वी ने माफिया को दिल खोलकर दिया सम्मान, तो भड़की BJP

नई दिल्ली। तेजस्वी यादव माफिया अतीक अहमद को अतीक जी कहकर बीजेपी के निशाने पर आ गए हैं। बीजेपी ने उन पर जोरदार हमला बोला है। दरअसल, तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हमारी किसी भी माफिया या अपराधी से कोई सहानुभूति नहीं है, लेकिन किसी को भी कानून और संविधान के दायरे में रहकर सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमने देखा है कि इस देश में प्रधानमंत्री के हत्यारों की भी सुनवाई हुई है। इसके बाद उन्हें सजा मिली है, लेकिन यूपी में अतीक जी के साथ जो कुछ हुआ, वो अतीक जी का जनाजा नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था का जनाजा है। इस बीच तेजस्वी ने अतीक को अतीक जी कह दिया, जिसे लेकर अब बीजेपी उन पर हमलावर हो चुकी है।

आपको बता दें कि बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने तेजस्वी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आरजेडी हमेशा ही गुंडे, माफिया और अपराधियों को संरक्षित करने वाली राजनीति करती हुई आई है। इसी राह पर कांग्रेस भी है। कांग्रेस भी शुरू से ही अपराधी, आतंकवादी और देशद्रोहियों को सम्मान देती हुई आई है। उधर, राजद भी तस्लीमुद्दीन और सहाबुद्दीन जैसे माफियाओं को पश्रय देती हुई आई है, तो जाहिर है कि अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे लोग तेजस्वी के लिए पूजनीय होंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले तेजस्वी यादव मुस्विम वोट बैंक को एकजुट करना चाहते हैं, इसलिए वो ऐसा बयान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिलेगी। ध्यान रहे कि अतीक अहमद को लेकर राजनीति अब यूपी के साथ-साथ बिहार में भी राजनीति तेज हो चुकी है। बिहार में भी आरोप-प्रत्यारोप का खेल इस पूरे मसले को लेकर शुरू हो चुका है। हालांकि, इकलौते तेजस्वी यादव नहीं हैं, जो अतीक अहमद मामले में संविधान और कानून का हवाला दे रहे हैं, बल्कि इससे पहले ओवैसी भी संविधान और कानून की दुहाई दे चुके हैं।

गौरतलब है कि उमेश पाल हत्याकांड मामले में आरोपी अतीक अहमद की प्रयागराज स्थित काल्विन अस्पताल के बाहर तीन बंदूकधारी युवकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसके बाद तीनों ने मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों को सरेंडर कर दिया था। तीनों ने पुलिस पूछताछ में इस बात को कबूला है कि वो अतीक से भी बड़ा माफिया बनना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उसे मौत के घाट उतारा है। हालांकि, तीनों ही आरोपियों के बयानों में विरोधाभाष नजर आ रहा है। वहीं, योगी सरकार ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है, जिसे जांच के लिए तीन माह का समय दिया गया है। बहरहाल, अब इस पूरे मामले में क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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