नई दिल्ली। आज पूरे देश में होली का त्योहार धूमधाम से सेलिब्रेट किया जा रहा है। बड़े हो या बूढ़े सभी लोग होली का त्योहार मना रहे हैं। हर तरफ होली के रंग-बिरंगे रंगों की छटा देखने को मिल रही है, लेकिन आज होली के अलावा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी है। विश्व भर में महिलाओं को महत्व देने के लिए महिला दिवस मनाया जाता है। आज हम जानेंगे कि महिला दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई और इसे मानने के पीछे की वजह क्या रही। तो चलिए जानते हैं।
कैसे हुई शुरुआत
महिला दिवस को महिलाओं के अधिकारों और उपलब्धियों के जश्न के तौर पर मनाया जाता है।इसकी शुरुआत ही महिलाओं द्वारा किए गए आंदोलन के बाद हुई थी, अब महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई थी। बताया जाता है कि 20वीं शताब्दी में महिलाओं ने अमेरिका और बाकी देशों में काम के घंटे कम करने, अच्छा वेतन की मांग और बराबरी का अधिकार और वोट देने के अधिकार के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। जिसे जीतने के बाद विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत हुई थी। जिसके बाद पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में मनाया गया था, हालांकि तब तक इसे सरकार से मान्यता नहीं मिली थी। 1977 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र की तरफ से महिला दिवस को मान्यता मिली थी और आज तक ये परंपरा जारी है।
क्या है इस बार की थीम
इस बार की थीम यूएन में डिजिट ऑल: इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फॉर जेंडर इक्वलिटी रखी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि यूएन में पुरुषों की तुलना में महिलाएं बहुत कम इंटरनेट का इस्तेमाल करती है। इसके जरिए महिलाओं के भीतर इंटरनेट को लेकर जागरूकता आ सके। इसके लिए कई सेशन्स भी रखे गए हैं। इस दौरान महिलाओं को इंटरनेट के फायदे और नुकसान दोनों ही बताएं जाएंगे।