Mehul Choksi : आखिर भगोड़े मेहुल चोकसी को इंटरपोल ने किस वजह से दी क्लीनचिट? जानिए रेड नोटिस हटने का मतलब क्या है
ऋषी नौपुत्रा
नई दिल्ली। भारत से पैसा लेकर भागने वालों की एक लंबी फेहरिस्त है और इसके बड़े नाम हैं मेहुल चौकसी और नीरव मोदी। मेहुल चोकसी तो 13 हजार 500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में वांटेड अपराधी है। इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के डेटाबेस से मेहुल चोकसी को हटाना सीबीआई और ईडी के लिए बड़ा झटका है। इंटरपोल ने 2018 में मेहुल चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था। उससे पहले ही मेहुल चोकसी एंटीगुआ और बरबूडा की सिटीजनशिप हासिल कर ली थी।
आपको बता दें कि इसके बाद अब इस पूरे मामले पर सियासी बवाल की भी शुरुआत हो चुकी है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि पीएम मोदी जवाब दें मेहुल को देश कब वापस लाया जाएगा। मेहुल पांच साल से फरार है, अब और कितना वक्त चाहिए?क्यों हटाया गया रेड नोटिस? यह सभी सवाल केंद्र सरकार से कांग्रेस की ओर से पूछे जा रहे हैं। जनवरी 2018 में पीएनबी घोटाला सामने आया था। लेकिन उससे पहले ही मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी देश से फरार हो गए थे।
यही वह वजह थी जिसके कारण इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड नोटिस को हटाने का बड़ा निर्णय किया है। इस पूरे मामले पर नींबू चौकसी के प्रवक्ता ने एक न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुए कहा कि रेड नोटिस डेटाबेस से नाम हटाने के फैसले से उनकी किडनैपिंग किए जाने के दावों को और मजबूत किया है। रेड नोटिस इंटरपोल द्वारा प्रजेंट किया जाता है। मौजूदा समय में विश्व के 195 देश इस के मेंबर के तौर पर मौजूद हैं। कोई भी अपराधी पुलिस और जांच एजेंसियों से बचने के लिए दूसरे देश भाग सकता है। रेड कॉर्नर नोटिस ऐसे अपराधियों के बारे दुनियाभर की पुलिस को सचेत करता है। रेड नोटिस किसी देश से भागे हुए अपराधी को ढूंढने के लिए जारी किया जाता है। इसको अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी के वारंट के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।