नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज द्वारा रेप केस में की गई हालिया टिप्पणी पर सख्त नाराजगी जताई। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट के अपने एक आदेश में दुष्कर्म के आरोपी को जमानत देते हुए कहा था कि युवती ने खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने एक छात्रा से दुष्कर्म के मामले में आदेश देते हुए यह टिप्पणी की थी। अब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने सवाल किया, आखिर इस प्रकार की टिप्पणी क्यों की गईं?
सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज राम मनोहर मिश्रा की एक केस के दौरान की गई टिप्पणी मामले पर सुनवाई चल रही थी। जस्टिस मिश्रा ने अपने आदेश में कहा था कि एक लड़की के स्तनों को छूना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना, लड़की को पकड़कर खींचना दुष्कर्म के प्रयास के अंतर्गत नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पर हाईकोर्ट जज को कड़ी फटकार लगाई थी। आज इसी केस की सुनवाई थी, उसी दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि पहले ही एक जज ने बहुत गलत टिप्पणी की थी और अब वैसा ही एक और मामला आ गया।
जस्टिस गवई ने कहा कि अगर जमानत दी जा सकती है तो दीजिए लेकिन यह कहना कि दुष्कर्म पीड़िता लड़की ने खुद ही मुसीबत को बुलावा दिया, कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने न्यायाधीशों को यौन अपराध जैसे संवेदनशील मामलों में टिप्पणी करते हुए बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि जज की टिप्पणियों का समाज और पीड़ितों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसी के साथ जस्टिस गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच के इस मामले को चार सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया। बेंच ने कहा कि इस केस की विस्तृत समीक्षा की जाएगी।