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तीरथ सिंह रावत से इस्तीफे के बाद बंगाल की CM ममता बनर्जी पर खतरा क्यों?, जानिए कनेक्शन

Tirath singh rawat mamta

नई दिल्ली। उत्तराखंड में सियासी संकट के बीच तीरथ सिंह रावत के अचानक इस्तीफे के बाद से राजनैतिक गलियारों में हलचल देखी जा रही है। हालांकि प्रदेश में नए सीएम के लिए भी तैयारी पूरी हो गई है। लेकिन तीरथ सिंह रावत के इस तरह पद छोड़ने के बाद से विपक्ष लगातार हमलावर है। वहीं इस्तीफा देने का कारण बताते हुए तीरथ सिहं रावत ने बताया कि संवैधानिक संकट के चलते उन्होने सीएम पद से इस्तीफा दिया। दरअसल सीएम पद की शपथ लेते वक्त तीरथ सिंह रावत विधानसभा के सदस्य नहीं थे, और छह महीने के अंदर उनका विधायक बनना जरूरी होता है। कोरोना वायरस की वजह से इस समय उपचुनाव हो पाना काफी मुश्किल है इसलिए उन्होने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया।

क्या कहता है भारतीय संविधान

किसी भी राज्य में विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य रहे बिना कोई भी व्यक्ति सिर्फ छह महीने ही मंत्री या मुख्यमंत्री पद पर रह सकता है। संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अनुसार बिना विधानसभा का सदस्य बने यदि कोई व्यक्ति मंत्री या मुख्यमंत्री पद की शपथ लेता है, तो उस मंत्री का पद इस अवधि के साथ ही खत्म हो जाती है।

ममता दीदी की कुर्सी पर भी संकट            

बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हालात भी तीरथ सिंह रावत के जैसे ही हैं। रावत जैसा संकट ममता बनर्जी के लिए भी सिरदर्द बन सकता है। क्योंकि तीरथ सिंह रावत की तरह ममता बनर्जी भी राज्य में विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। उत्तराखंड की तरह कोरोना के चलते यदि पश्चिम बंगाल में भी उपचुनाव नहीं हुए तो ममता बनर्जी को भी तीरथ सिंह की तरह के संवैधानिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।

उत्तराखंड में 8 महीने का कार्यकाल बाकी

बता दें कि तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च 2021 के ही मुख्समंत्री पद की शपथ ली थी। वह उस समय विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। संविधान के अनुसार उन्हे 10 सितबंर यानी 6 महीने से पहले विधायक चुना जाना था। हालांकि राज्य में विधानसभा की दो विधानसभा सीटें अभी भी खाली हैं, लेकिन कोरोना संकट के चलते उनपर चुनाव करकवाए जाने की कोई संभावनी नज़र नहीं आ रही है। वहीं राज्य में भी अब विधानसभा का कार्यकाल सिर्फ 8 महीने का बचा है। जिसके बाद राज्य में विधानसभा चुनाव करवा जाने हैं।

उत्तराखंड जैसी स्थिति में पश्चिम बंगाल

ममता बनर्जी ने 4 मई 2021 को शपथ लेकर तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की कुर्सी अपने नाम की है। क्योंकि वह नंदीग्राम सीट से चुनाव नहीं जीत पाईं इस वजह से ममता राज्य विधानमंडल की सदस्य नहीं हैं। ऐसे में उन्हें संविधान के अनुसार 4 नवंबर 2021 उनका विधानसभा का सदस्य होना जरूरी वर्ना उन्हे भी अपने सीएम पद से हाथ धोना पड़ सकता है।

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