नई दिल्ली। याद तो होगा ही आपको….जब पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी से पहले उनके करीबी अर्पिता मुखर्जी के यहां ईडी ने छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान 20 करोड़ से भी अधिक रकम बरामद की गई थी। जिसके बाद बंगाल की राजनीति में तहलका मच गया। कांग्रेस समेत बीजेपी ने इस मसले को लेकर दीदी की पार्टी पर हमला बोला तो वहीं टीएमसी ने उक्त प्रकरण को बीजेपी की साजिश करार दिया। फिलहाल अभी इस पूरे मसले को लेकर सियासी रार जारी है। बीते दिनों ईडी ने अर्पिता को एक दिन की रिमांड पर भेज दिया था। हालांकि, अर्पिता ने पूछताछ के दौरान क्या कुछ खुलासे किए हैं, अभी तक जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इस पूरे प्रसंग में ध्यानाकर्षण करने वाला विषय यह रहा कि अभी तक ममता दीदी की कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। जिसे लेकर सियासी गलियारों में बहस का सिलसिला जारी है।
हालांकि, बीते दिनों मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में पार्थ चटर्जी ने कहा था कि मेरा पार्टी प्रमुख से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। जिस पर टीएमसी के नेताओं ने ही अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि जब ईडी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है, तो उसका मोबाइल फोन जब्त कर लेती है। ऐसे में भला पार्थ ने यह बयान किस आधार पर दिया है। समझ से परे है। यह अपने आप में विवेचना का विषय का है। हालांकि, बीते दिनों मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में चटर्जी ने यह भी कहा था कि मुझे राजनीतिक साजिश के तहत फंसाने की कोशिश की जा रही है। मेरा कोई कसूर नहीं है। मैं बेकसूर हूं।
उधर, टीएमसी के किसी भी नेता ने उनके बचाव में कोई बयान नहीं दिया है। इसके साथ ही टीएमसी से मेयर फिरहाद हकीम ने आगे कहा कि अगर चटर्जी पर दोष सिद्ध होता है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पार्टी किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी। पता ही होगा कि आपको बंगाल में प्रशासनिक अमलों के बीच भ्रष्टाचार को लेकर ममता बनर्जी अपने सख्त रवैये को लेकर चर्चा में रहती हैं। लेकिन, इस पूरे मसले को लेकर ममता का कोई भी बयान सामने नहीं आया है। जिसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओंं का बाजार गुलजार है।