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Poll Preparation: यूपी में वक्त पर चुनाव होंगे या नहीं, यहां जानिए क्या कहते हैं ये संकेत

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लखनऊ। कोरोना और खासकर इसके ओमिक्रॉन वैरिएंट के लगातार बढ़ते प्रसार को देखते हुए ये चर्चा जोरों पर है कि अगले साल यूपी समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव वक्त पर होंगे या नहीं ? वजह ये भी है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव टालने या कम से कम प्रचार को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम या अखबार के जरिए करने के लिए कहा है। वहीं, चुनाव टलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल हुई है। इन सबके बीच चुनाव आयोग की टीम का यूपी दौरा तय हुआ है। इस दौरे पर गौर करें, तो लगता यही है कि आयोग वक्त पर चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि कोरोना वॉरियर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के अलावा गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को वैक्सीन की एक और डोज दी जाएगी। इससे भी लग रहा है कि चुनावों के दौरान सरकार भी लोगों की जान को खतरे से बचाने के लिए मैदान में उतर आई है।

पहले बात करते हैं चुनाव आयोग के यूपी दौरे की। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के नेतृत्व में आयोग की टीम 28 दिसंबर से 30 दिसंबर तक लखनऊ में रहेगी। 28 दिसंबर को टीम राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के नेताओं के साथ बैठक करेगी। साथ ही राज्य पुलिस के नोडल अफसरों और केंद्रीय पुलिस बलों के अफसरों से भी बातचीत करेगी। इसके अलावा अलग-अलग प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बैठक होगी। 29 दिसंबर को आयोग की टीम सभी 75 जिलों के जिला निर्वाचन अफसरों, आईजी जोन, एसपी, कमिश्नर वगैरा के साथ बैठक करेगी। 30 दिसंबर को मुख्य चुनाव आयुक्त और उनकी टीम यूपी के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी के साथ बैठक के बाद दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव के बारे में जानकारी देगी।

यूपी समेत 5 राज्यों में वोटिंग के दौरान वोटरों को कोरोना से बचाने के लिए पीएम मोदी भी मैदान में उतर गए हैं। सरकार ने को-मॉर्बिडिटी यानी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त, 60 साल से ऊपर के लोगों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और कोरोना वॉरियर्स को 10 जनवरी से वैक्सीन की तीसरी डोज देने का फैसला किया है। इससे लोगों की रोग प्रतिरोधक ताकत में इजाफा होगा और वे कोरोना और खासकर इसके ओमिक्रॉन वैरिएंट से खुद को बचा सकेंगे। मोदी के इस फैसले को देखते हुए लग रहा है कि सरकार चुनाव टालने की जगह इसे वक्त पर कराने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। सूत्रों के मुताबिक भीड़भाड़ टालने के लिए आने वाले दिनों में बीजेपी का नेतृत्व जनसभाओं की जगह अलग प्रचार मॉडल लागू करने पर भी विचार कर सकता है।

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