News Room Post

टाटा संस का चेयरमैन नहीं बनूंगा : साइरस मिस्त्री

नई दिल्ली। टाटा-मिस्त्री के बीच की लड़ाई में रविवार को एक नया मोड़ तब आया, जब साइरस मिस्त्री ने कहा कि वह न तो टाटा संस का चेयरमैन बनेंगे और न टाटा समूह की किसी कंपनी का निदेशक ही बनेंगे। लेकिन वह एक माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के रूप में तथा टाटा संस के बोर्ड में एक सीट के शापूरजी पालोनजी समूह के अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्प आजमाएंगे।Tata Sons and Cyrus Mistryउन्होंने कहा कि उन्होंने यह निर्णय टाटा समूह के हित में लिया है, जिसका हित किसी के व्यक्तिगत हित से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

मिस्त्री ने कहा, “फैलाई गई गलत सूचनाओं को स्पष्ट करने के लिए मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनसीएलटी का आदेश मेरे पक्ष में भले ही आया है, लेकिन मैं टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन नहीं बनना चाहूंगा, मैं टीसीएस, टाटा टेलीसर्विसिस या टाटा इंडस्ट्रीज का निदेशक भी नहीं बनना चाहूंगा।”


उन्होंने एक बयान में कहा, “लेकिन मैं एक माइनॉरिटी शेयरहोल्टर के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्प आजमाऊंगा, जिसमें टाटा संस के बोर्ड में एक सीट हासिल करना और टाटा संस में सर्वोच्च स्तर का कारपोरेट शासन और पारदर्शिता लाना शामिल है।”

एनसीएलटी के फैसले पर रतन टाटा और अन्य द्वारा सवाल उठाए जाने से संबंधित हाल की मीडिया रपटों पर उन्होंने कहा, “यह भाषा कारपोरेट लोकतंत्र की एक व्याख्या है, जहां बहुमत का वर्चस्व है और अल्पमत शेयरहोल्डर को कोई अधिकार नहीं है।”

मिस्त्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब टाटा संस और उसके पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के दिसंबर के फैसले के खिलाफ चंद दिन पूर्व सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। एनसीएलटी ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था।

रतन टाटा ने तीन जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में कहा था कि मिस्त्री और टाटा ट्रस्ट्स के बीच रिश्ता बिगड़ गया है और टाटा ट्रस्ट्स ने महसूस किया है कि भविष्य में टाटा संस में उन्हें मजबूत नेतृत्व नहीं दिया जाना चाहिए।

मिस्त्री 2012 में टाटा समूह के छठे चेयरमैन नियुक्त किए गए थे, लेकिन 24 अक्टूबर, 2016 को उन्हें पद से हटा दिया गया था।

Exit mobile version