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Uttar Pradesh: जनसंख्या नियंत्रण नीति लाने की तैयारी में योगी सरकार, पेश किया मसौदा

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नई दिल्ली। लगातार बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए यूपी की योगी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण नीति लाने का फैसला किया है। जिसे देखते हुए सीएम योगी ने लोकभवन में मसौदा पेश किया। योगी सरकार की नई जनसंख्या नीति 2021-30 के तहत प्रदेश में नवजात मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर को और कम करने की कोशिश की जाएगी। मुख्यमंत्री इस नीति को 11 जुलाई यानी जनसंख्या दिवस पर खुद जारी करेंगे। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश के कुछ समुदायों में अभी भी जनसंख्या को लेकर जागरूकता का अभाव है। इस तरह के समुदाय के लिए केंद्रित जागरूकता के प्रयास की जरूरत है।

क्या है नीति

इस नई नीति के तहत साल 2021-30 की अवधि के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम किए जाएंगे। जिसके अंतर्गत गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाए जाने पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था भी की जाएगी। स्वास्थ्य सुविधाओं पर खासा जोर दिया जाएगा। ताकि नवजात और मातृ मृत्यु दर को कम करने और नपुंसकता या बांझपन की समस्याओं का समाधान निकाल सकें। जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयास किए जाने की बात भी कही जा रही है।

इस नई नीति के तहत एक अहम प्रस्ताव रखा गया है जोकि 11 से 19 साल के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन से जुड़ा है। इसके साथ ही बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी इसमे शामिल है। इस मामले में मुख्यमंत्री ने कहा है कि जनसंख्या बढ़ने के पीछे गरीबी और अशिक्षा बड़ा कारण है। प्रदेश की निवर्तमान जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है। वहीं अब नई नीति बनाने का समय आ गया है।

नीति में अलग-अलग लक्ष्य

नई नीति को लेकर सीएम योगी ने कहा है कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जागरूकता और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ सभी जरूरी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। जागरूकता प्रयासों के क्रम में उन्होंने स्कूलों में हेल्थ क्लब बनाए जाने के निर्देश भी दिए गए है। इसके साथ ही डिजिटल हेल्थ मिशन की भावनाओं के अनुरूप नवजातों, किशोरों और वृद्धजनों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था करने को भी कहा है। सीएम ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट जल्द ही जारी की जाएगी। जिसके चलते नई नीति में जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों को तेज करना होगा। इस नीति के तहत साल 2026  के 2030 तक के लिए दो चरणों में अलग-अलग मानकों पर केंद्रित लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं।

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