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2011 World Cup Indian Team: विश्व कप जीत के 10 साल, भारत के इस कमाल पर झूम उठा सोशल मीडिया

2011 World cup Champion

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम ने दो बार भारत को विश्व विजेता बनने का मौका दिया। एक बार 1983 में जब टीम की कमान कपिल देव के हाथ थी। इसके बाद दूसरी बार आज ही के दिन 10 साल पहले 2011 में जब महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत दूसरी बार विश्व विजेता बना था। भारतीय क्रिकेट टीम ने यह खिताब तब क्रिकेट के भगवान कहे जानेवाले सचिन तेंदुलकर को समर्पित किया था। मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम भारत के इस गौरवशाली जीत का साझेदार बना था। भारत की इस जीत के बाद पूरा देश झूम उठा था। पूरे देश में दिवाली मनाई गई थी।

सोशल मीडिया पर भी भारत की इस जीत के 10 साल पूरे होने के बाद भी जोश वैसा ही है जैसा 2011 में था। आज भी इस मौके पर सोशल मीडिया भारत की उस जीत की गाथा के साथ झूम उठा। क्या आम क्या खास सभी भारत की इस बेहतरीन जीत के लिए उस समय की टीम इंडिया स्कावड को जमकर बधाई दे रहे हैं।

भारत की इस जीत को याद करते हुए टीम के वर्तमान कोच रवि शास्त्री ने लिखा।

वीरेंद्र सहवाग ने भी याद किया 2011 की इस बेहतरीन जीत को

वीरेंदर सहवाग ने भी भारतीय टीम के वर्ल्ड चैंपियन बनने के पल को याद करते हुए शानदार ट्वीट किया है। सहवाग ने लिखा, “2 अप्रैल: 10 साल पहले, जीवन भर का पल।”

वर्ल्ड 2011 के फाइनल में भले ही सहवाग अपना खाता नहीं खोल सके थे लेकिन पूरे टूर्नामेंट में उनके बल्ले जमकर रन निकले थे। सहवाग ने 8 मैचों में 47 की औसत और 122 से ज्यादा के स्ट्राईक रेट से 380 रन बनाए थे और टूर्नामेंट के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में 7वें स्थान पर रहे थे। इस टूर्नामेंट में उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ 175 रनों की शानदार पारी भी खेली थी।

सुरेश रैना ने लिखा

लोगों की प्रतिक्रिया

विश्व कप के फाइनल मुकाबले के दौरान ड्रेसिंग रूम के अनसुने किस्से

आपको बता दें कि इस वर्ल्ड कप के दौरान जब फाइनल मुकाबला हो रहा था तो भारतीय क्रिकेट टीम के ड्रेसिंग रूम का माहौल काफी अलग था। इस दिन सब यहां अलग दिख रहा था। कई ऐसे किस्से उस दिन के ड्रेसिंग रूम के जो शायद ही आप जानते होंगे। तो आपको बता दें कि इस मैच में दो बार टॉस किया गया था। पहली बार जब टॉस किया गया तो अंपायर यह समझ ही नहीं पाए की श्रीलंका के कप्तान ने आखिर मांग क्या की है। सिक्का उछाल दिया गया लेकिन फिर से एक बार टॉस कराने का निर्णय लिया गया और अंततः श्रीलंका ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी और भारत के सामने जीत के लिए 275 रनों का लक्ष्य रखा था।

इस मैच में सचिन तेंदुलकर 18 रन बनाकर पवेलियन लौट गए थे और उनसे पहले विरेंद्र सहवाग बिना खाता खोले ही पवेलियन लौटे थे। इसके बाद सचिन पूरे मैच को दौरान मसाज टेबल पर बैठे रहे और सहवाग को भी वहीं बिठाए रखा और उन दोनों ने पूरे मैच के दौरान भारतीय बल्लेबाजी नहीं देखी।

इस मैच के दौरान विरेंद्र सहवाग जब शून्य के व्यक्तिगत स्कोर पर अपना विकेट गंवा चुके थे तो उस समय तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले गौतम गंभीर तैयार ही नहीं हुए थे। उन्होंने तब तक पैड भी नहीं पहना था। सहवाग के विकेट पर डीआरएस लिया गया था जिसके चलते गंभीर को तैयार होने का समय मिल गया था।

भारत ने इस विश्व कप जीत के साथ तोड़ दिए थे कई मिथक

आपको बता दें कि इस विश्व कप में भारत ने जीत हासिल कर कई मिथक को तोड़ दिया था। दरअसल इसके पहले किसी भी विश्व विजेता टीम ने इस टूर्नामेंट को अपने देश के मैदान पर नहीं जीता था। मतलब इससे पहले कोई भी टीम अपने होमग्राउंड पर खेलते हुए विश्व कप विजेता नहीं बन पाई थी। भारत पहला ऐसा देश बन गया था जो अपने घरेलू मादीन पर खेलते हुए विश्व चैंपियन बना था।

महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत की टीम ने सचिन तेंदुलकर के विश्व चैंपियन बनने के सपने को पूरा किया था और जीत के बाद क्रिकेट के भगवान को कंधों पर बिठाकर भारतीय खिलाड़ियों ने मैदान के चक्कर लगाए थे और स्टेडियम में उपस्थित दर्शकों का अभिवादन स्वीकार किया था।

विश्‍व कप विजेता भारतीय टीम प्लेइंग XI दोबारा नहीं दिखी एक साथ, क्या कभी दिखेंगे एक साथ?

इस टीम के प्लेइंग XI में वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर, विराट कोहली, एमएस धोनी, युवराज सिंह, सुरेश रैना, हरभजन सिंह, जहीर खान, मुनाफ पटेल और एस श्रीसंत शामिल थे। भारत ने 28 साल बाद विश्व कप पर दोबारा कब्जा किया था। लेकिन आप यह नहीं जानते होंगे कि भारतीय क्रिकेट टीम जिस प्लेइंग XI के साथ मैदान पर उतरी थी उस टीम ने दोबारा कभी एकसाथ अंतरराष्‍ट्रीय मैच नहीं खेला। 2 अप्रैल 2011 के बाद यह पूरी टीम कभी भी एक साथ मैदान पर नजर नहीं आई। आपको बता दें कि इस प्लेइंग XI में से हरभजन सिंह, विराट कोहली और श्रीसंत ही ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा नहीं कहा है। बाकि टीम का हिस्सा रहे सभी खिलाड़ी पहले ही संन्यास की घोषणा कर चुके हैं।

इतना ही नहीं गाहे-बगाहे 1983 की विश्व विजेता टीम को तो एक साथ कई मंचों पर देखा जाता रहा है। लेकिन क्रिकेट के मैदान को तो छोड़े 2011 की विश्व कप विजेता टीम के खिलाड़ी कभी एक साथ किसी मंच पर नजर भी नहीं आए। ना हीं ऐसा होने का भविष्य में कोई गुंजाइश नजर आ रहा है। क्योंकि इस टीम के खिलाड़ियों के बीच किसी ना किसी बात को लेकर दूरियां हैं। महेंद्र सिंह धोनी के साथ मंच साझा करना युवराज सिंह और गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ियों के लिए संभव नजर नहीं आता है। ना ही अभी तक इस तरह की कोई कोशिश की गई है।

इस पूरे टूर्नामेंट में भारत की टीम इतनी मजबूत थी कि लोगों को पहले से ही लगा था कि विश्व कप इस बार भारत के ही हिस्से में आनेवाला है और ऐसा हुआ भी। सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, एमएस धोनी, युवराज सिंह, जहीर खान और हरभजन सिंह जैसे दिग्गज खिलाड़ियों से भरी टीम ने इस टूर्नामेंट में ऐसा प्रदर्शन किया कि सभी चकित रह गए थे। लेकिन एक साथ इस प्लेइंग XI के मैदान पर नहीं आने को लेकर गौतम गंभीर ने एक बार कहा था कि, ‘मुझे नहीं लगता कि अंतरराष्‍ट्रीय वनडे क्रिकेट इतिहास में ऐसा पहले कभी हुआ होगा कि विश्‍व कप जीतने वाली टीम दोबारा कभी एकसाथ नहीं खेली।’

भारतीय टीम के हीरो इस पूरे टूर्नामेंट में रहे युवराज सिंह। 2011 विश्व कप के मैन ऑफ द टूर्नामेंट के रूप में युवराज सिंह को चुना गया था जिन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 362 रन बनाने के साथ 15 विकेट चटकाए थे। भारत ने इस विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीम को मात देकर फाइनल में प्रवेश किया था। जहां श्रीलंका के साथ उनको फाइनल खेलना था। तब श्रीलंका की टीम का खेल भी उम्दा था। लेकिन भारतीय धाकड़ों के सामने इनकी एक ना चली और इस मैच में भारत ने जीत हासिल कर विश्व कप पर कब्जा जमा लिया।

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