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Tokyo Olympics : तलवारबाजी में भवानी देवी का सफर थमा, दूसरे राउंड में हारीं

bhavani devi

टोक्यो। भारतीय फेंसर सीए भवानी देवी ने सोमवार को अपने पहले ओलंपिक अभियान में शानदार शुरूआत की और महिला व्यक्तिगत साब्रे के अपने शुरूआती दौर के मुकाबले में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया लेकिन दूसरे मुकाबले में हार के साथ उनका सफर समाप्त हो गया। 27 साल की भवानी ने ट्यूनीशिया की नादिया बेन अजीजी को 15-3 से हराकर राउंड आफ 32 में प्रवेश किया और ओलंपिक में कोई मैच जीतने वाली भारत की पहली तलवारबाज बन गईं लेकिन अगले राउंड में भवानी को फ्रांस की मेनोन ब्रुनेट के हाथों 7-15 से हार मिली।

यह एक ऐतिहासिक दिन था जब भारत ने ओलंपिक में तलवारबाजी में अपनी शुरूआत की। यह एक ऐसा खेल है, जो 1896 से ही ग्रीष्मकालीन खेलों में का हिस्सा है। इसी को ध्यान में रखते हुए भवानी ने पहला मैच जीता और फिर दूसरे मैच में विश्व की तीसरे नम्बर की खिलाड़ी मेनोन को कड़ी टक्कर दी। मकुहारी मेस्से हॉल में एक सतर्क शुरूआत करते हुए, भवानी ने मेनोन को जोरदार टक्कर दी। पहले राउंड में 2-9 से पीछे होने के बावजूद भवानी ने हार नहीं मानी और एक समय स्कोर को 6-11 तक ले गईं लेकिन अंतत: फ्रांसीसी खिलाड़ी ने अपने अपार अनुभव का प्रयोग करते हुए भवानी को हार मानने पर विवश कर दिया।

इसी तरह पहले मैच में भवानी ने अजीजी को हमले की शुरूआत करने का मौका दिया लेकिन बाद में भवानी ने ट्यूनीशियाई को असहज करते हुए अंक पॉकेट में डालने के लिए बार-बार पिन किया। तलवारबाजी में, ‘राईट ऑफ वे’ नियम का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि दोनों एथलीटों के स्पर्श दर्ज करने की स्थिति में किस फेंसर को अंक दिए जाते हैं। इस नियम के तहत हमले की शुरूआत करने वाले फेंसर को प्राथमिकता दी जाती है।

अपने बचाव के दम पर दुनिया की 42वें नंबर की भवानी देवी ने अपने प्रतिद्वंद्वी की बढ़त को रद्द कर दिया। भारतीय ने फर्स्ट पीरियड के समाप्त होने तक 8-0 की लीड ले ली। दूसरे में, भवानी देवी ने हमला किया और अपनी जीत पर मुहर लगाने के लिए अपनी इच्छा से ओपनिंग की। चेन्नई, तमिलनाडु में जन्मी, भवानी देवी ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय फेंसर हैं। भवानी देवी एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय भी हैं।

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