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Setback For BCCI In Kochi Tuskers Case : बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईपीएल की पूर्व फ्रेंचाइजी टीम कोच्चि टस्कर्स के पक्ष में सुनाया फैसला, बीसीसीआई को झटका

Setback For BCCI In Kochi Tuskers Case : जस्टिस आरआई चागला की सिंगल बेंच ने बीसीसीआई की ओर से मध्यस्थता निर्णय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नया आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। कोच्चि टस्कर्स ने 2011 के आईपीएल सीजन में भाग लिया था। बीसीसीआई ने समझौते के कथित उल्लंघन के आरोपों पर कोच्चि टस्कर्स फ्रेंचाइजी को बाद में खत्म कर दिया था।

नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईपीएल की पूर्व फ्रेंचाइजी टीम कोच्चि टस्कर्स के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बीसीसीआई को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें मध्यस्थता निर्णय के तहत बीसीसीआई को कोच्चि टस्कर्स के मालिकों को 538 करोड़ रुपये देने के लिए कहा गया था। जस्टिस आरआई चागला की सिंगल बेंच ने बीसीसीआई की ओर से इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नया आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। कोच्चि टस्कर्स ने 2011 के आईपीएल सीजन में भाग लिया था। बीसीसीआई ने समझौते के कथित उल्लंघन के आरोपों पर कोच्चि टस्कर्स फ्रेंचाइजी को बाद में  खत्म कर दिया था।

अदालत ने कहा कि मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के तहत इस न्यायालय का अधिकार क्षेत्र बहुत सीमित है। बीसीसीआई का प्रयास अधिनियम की धारा 34 में निहित आधारों के दायरे के विपरीत है। दरअसल यह विवाद इसलिए हुआ जब कोच्चि टस्कर्स केरल फ्रेंचाइज़ी को रेंडेज़वस स्पोर्ट्स वर्ल्ड (RSW) के नेतृत्व वाले एक संघ को दिया गया। बाद में इसका संचालन कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा किया जाने लगा गया, जिसे बीसीसीआई ने सितंबर 2011 में समाप्त कर दिया। फ्रेंचाइज़ी के साथ समझौते के अनुसार KCPL को उस वर्ष मार्च तक बैंक गारंटी प्रस्तुत करनी थी। आईपीएल मैचों की संख्या में अचानक कमी जैसे मुद्दों का हवाला देते हुए KCPL ऐसा नहीं कर पाया। हालांकि बीसीसीआई ने महीनों तक KCPL के साथ संपर्क बनाए रखा और भुगतान स्वीकार किया, लेकिन इसने अचानक फ्रैंचाइज़ी को समाप्त कर दिया और RSW द्वारा जारी की गई पूर्व गारंटी को भुना लिया।

बीसीसीआई द्वारा कोच्चि टस्कर्स फ्रेंचाइजी को खत्म किए जाने के बाद केसीपीएल और आरएसडब्ल्यू दोनों ने 2012 में मध्यस्थता कार्यवाही शुरू की, जिसमें दावा किया गया कि बीसीसीआई का निर्णय गलत था। 2015 में, मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने कोच्चि टस्कर्स के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें केसीपीएल को 384 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा दिया गया और ब्याज और लागत के साथ आरएसडब्ल्यू को 153 करोड़ रुपये से अधिक की राशि लौटाने का आदेश दिया गया। बीसीसीआई ने इसे चुनौती दी, जिसमें तर्क दिया गया कि न्यायाधिकरण ने अपनी शक्तियों से परे काम किया है और कानून का गलत इस्तेमाल किया है। इसने कहा कि बैंक गारंटी जमा करने में केसीपीएल की विफलता समझौते का एक मौलिक उल्लंघन था, जो फेंचाइजी टीम की समाप्ति को उचित ठहराता है।

 

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