नई दिल्ली। हम समानता की बात करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि कभी-भी किसी के साथ उसके धर्म, जाति, संप्रदाय, राज्य, भाषा या लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव ना हो। अगर हो तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। गत दिनों इस दिशा में संविधान में कई तरह के संशोधन किए जा चुके हैं। इन संशोधनों का सकारात्मक नतीजा भी धरातल पर देखने को मिला है, लेकिन अफसोस आजादी के सात दशकों के बाद भी ऐसे मामलों पर पूर्णत: विराम नहीं लग पाया है, जिससे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। इसी कड़ी में हम इन्हीं सब सवालों के बारे में विस्तारपूर्वक विवेचना करेंगे, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि चीन के हांग्जो में आयोजित एशियन गेम्स के बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जिससे वाकिफ होने के बाद आपका दिल पसीज उठेगा। इसके बाद आपके जेहन में यह भी सवाल उठ सकता है कि आखिर आज भी हमारे देश में इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं और अगर हो रही हैं, तो इसका जिम्मेदार कौन है?
आपको बता दें कि एशियन गेम्स में हिस्सा लेना किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है और वो अपने इस सपने को मूर्त रूप देने के मकसद से दिन-रात मेहनत करता है, लेकिन आप ही बताइए कि इन मेहनत को दरकिनार कर जब उसे एशियन गेम्स में मिले पदक क ले लिया जाए, जो कि उसका हक बनता है, तो उसे कितनी तकलीफ होगी? इसका अंदाजा आप सहज ही लगा सकते हैं।
Nandini Agasara (Heptathlon): Bronze #IndiaAtAsianGames #AGwithIAS #AsianGames2023 pic.twitter.com/KFezzDtg6j
— India_AllSports (@India_AllSports) October 1, 2023
दरअसल, एक ऐसे ही खिलाड़ी को एशियन गेम्स में जीता गया कांस्य पदक नहीं दिया गया, क्योंकि वो ट्रांसजेंडर था। दरअसल, एशियन गेम्स में हिस्सा लेने वाली खिलाड़ी स्वप्ना बर्मन ने सोशल मीडिया एक्स पर बड़ा आरोप लगाया है। स्वप्ना ने अपने आरोपों में कहा कि उन्हें ट्रांसजेंडर होने की वजह से अपना कांस्य पदक गंवाना पड़ा है। खिलाड़ी ने इसे लेकर लोगों से मदद की भी अपील की है। बता दें कि स्वप्ना बर्मन ने लिखा, ‘मैंने चीन के हांगझोऊ में आयोजित 19वें एशियाई खेलों में एक ट्रांसजेंडर महिला के कारण अपना एशियाई खेलों का कांस्य पदक खो दिया है। मैं अपना पदक वापस चाहता हूं क्योंकि यह हमारे एथलेटिक्स के नियमों के खिलाफ है। कृपया मेरी मदद करें और मेरा समर्थन करें’।
बता दें कि खिलाड़ी के कई सवाल उठाए हैं कि क्या जब आज हम चांद तक जा पहुंचे हैं, तो हमारे देश में किसी ट्रांसजेंडर को इतना भी हक नहीं है कि वो अपने जीवन में कुछ बेहतर करें? इस देश के हित में अपना अमूल्य योगदान दे सकें? खुद का जीवनस्तर सुधार सकें?