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Tokyo Olympic: लवलीना बोरगोहैन ने Olympic की प्रेरणा के लिए 2015 में ही अपनी कलाई पर बनवाई थी ओलंपिक रिंग का टैटू

नई दिल्ली। देश के लिए टोक्यो ओलंपिक से आज सुबह एक और अच्छी खबर आई। जब भारत के लिए उम्मीद की किरण रहे सौरभ चौधरी, मनु भाकर और मेरीकॉम पदक से दूर हो गए तो लोगों के अंदर एक आशा की किरण बनकर उभरीं लवलीना बोरगोहैन। लवलीने ने भारत के लिए एक पदक तो बॉक्सिंग में पक्का कर दिया। आगे के मैच में जो भी हो अब लवलीना के हाथ ओलंपिक का एक पदक तो उनके पंच ने पक्का कर दिया है। लवलीना असम की पहली महिला खिलाड़ी हैं जो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई हुईं। इससे पहले असम के शिव थापा ने ओलंपिक में असम की तरफ से प्रतिनिधित्व किया था। इतना ही नहीं वह इसम की छठी खिलाड़ी हैं जिन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया है। लवलीना का ओलंपिक का सफर बेहद मुश्किल रहा है यहां ओलंपिक में क्वालीफाई करने से कुछ महीने पहले वह कोरोना से संक्रमित हो गईं थीं। लेकिन उन्होंने हौसला नहीं हारा। आपको बता दें कि लवलीना तीन बहनें हैं इनमें से दो बहनें राष्ट्रीय स्तर पर किक बॉक्सिंग खेल चुकी हैं और लवलीना ने भी अपने करियर की शुरुआत इसी से की थी। लेकिन बाद में उन्होंने अपना ट्रक बदल लिया।

लवलीना का मुख्य फोकस ओलंपिक था, उनका कहना है कि जब से वह खेल रही हैं तब से उनका लक्ष्य यही रहा है। लवलीने ने बताया कि 2015 में उन्होंने अपनी कलाई पर पांच ओलंपिक रिंगों का टैटू बनवाया था। ये टैटू उनको ओलंपिक के प्रति प्रेरित करते रहते थे।

लवलीना के इरादे इतने मजबूत हैं कि वह यह मानती हैं कि वह मुक्केबाज मुहम्मद अली के नक्शेकदम पर चल रही हैं और उनका एक और एक निशाना गोल्ड मेडल पर है। लवलीना की इस जीत के बाद से ही उनको बधाईयां मिलनी शुरू हो गई हैं।

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