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Tokyo Olympics 2021: अपने कपड़ो को लेकर चर्चा में जर्मन महिला जिम्नास्ट, ये है वजह

जर्मन महिला जिम्नास्ट

नई दिल्ली। इस वक्त टोक्यो ओलंपिक में दुनिया भर के खिलाड़ी अपना दमदार प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच जर्मन की महिला जिम्नास्ट अपने हुनर के साथ ही अपने कपड़ो को लेकर भी चर्चा में हैं। दरअसल, जर्मन महिला खिलाड़ियों ने अपना दमदार प्रदर्शन दिखाने के साथ ही खेल के जरिए ‘फ्रीडम ऑफ चॉइस’ यानी अपने पसंद के कपड़े पहनने की आजादी को भी प्रमोट किया है।

रविवार को हुए मुकाबले के दौरान जर्मनी की महिला जिमनास्टिक्स फुल बॉडी सूट में दिखाई दी। कपड़ों को लेकर खिलाड़ियों का कहना था कि इन कपड़ो को, पसंद की आजादी को बढ़ावा देने के साथ ही महिलाओं को प्रोत्साहित करने के हिसाब से डिजाइन किया गया है ताकि वो खुद को इनमें सहज महसूस कर सकें।

बता दें, टीम की खिलाड़ी सारा वॉस, पॉलीन शेफर-बेट्ज, एलिजाबेथ सेट्ज और किम बुई, लाल और सफेद रंग से मिले जुले यूनिटार्ड को पहनकर मैदान में उतरीं थी। उनके इस यूनिटार्ड को लियोटार्ड और लेगिंग्स को मिलाकर तैयार किया गया था जो की उनके पूरे पैर को ढक रहा था।

अपनी ट्रेनिंग के दौरान भी इस टीम ने ऐसे ही कपड़े पहने थे। खिलाड़ियों ने उस दौरान भी कई इंटरव्यूज में ये कहा था कि वो फाइनल कंपटीशन में भी फ्रीडम ऑफ चॉइस को प्रमोट करने के लिए ऐसे ही कपड़े को पहनकर मैदान में उतरेंगी।

21 साल की वॉस ने कहा, “जैसे-जैसे आप एक महिला के रूप में बड़ी होती जाती हैं, वैसे-वैसे अपने नए शरीर के साथ सहज होना काफी मुश्किल हो जाता है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि हम जो भी पहनें उसमें हम अच्छे दिखने के साथ-साथ सहज भी महसूस करें. भले ही वो शॉर्ट यूनिटार्ड हो या लॉन्ग”. जर्मन खिलाड़ियों के इस फैसले की अब हर कोई सराहना कर रहा है।

आपको बता दें कि महिला जिमनास्टिक्स को प्रतियोगिताओं में पूरे या हाफ बाजू वाले पारंपरिक लियोटार्ड को पहनना होता है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पैरों को ढंकने वाले कपड़े पहनने की इजाजत तो है लेकिन अब तक इसका इस्तेमाल महिला खिलाड़ियों ने धार्मिक कारणों से ही किया है। ये पहली बार है जब फ्रीडम ऑफ चॉइस के उद्धेश्य के साथ महिला खिलाड़ियों ने इस तरह के कपड़े पहने हो।

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