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Artificial Intelligence: तकनीक की दुनिया में क्रांति लाता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जानें इसकी उपयोगिता और सार्थकता

नई दिल्ली। बहुधा कहा जाता है कि किसी भी मनुष्य को जीवित रहने के लिए मुख्य रूप से तीन चीजों की दरकार होती है, जिसमें रोटी, कपड़ा और मकान शामिल है, लेकिन अब गुजरते वक्त के साथ इस फेहरिस्त में चौथी एक और चीज का नाम शामिल हो चुका है और वो है तकनीक। जी हां… आपको बता दें कि अब किसी भी मनुष्य को इस पृथ्वी पर अपने अस्तित्व को जिंदा रखने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ तकनीक की भी आवश्यकता है, बगैर तकनीक के कोई भी शख्स जिंदा तो रह सकता है, लेकिन वो अंदर से खुद को मरा हुआ महसूस करेगा। आज की तारीख में हम तकनीक से इस कदर घिर चुके हैं कि बना उसके अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। हमारी सुबह की शुरुआत ही तकनीक से होती है और खत्म भी तकनीक से होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में तकनीक का खूमार इस कदर बढ़ गया है कि अब आहिस्ता-आहिस्सा तकनीक इंसान की शक्ल अख्तियार करते जा रहे हैं, जिसका ताजा नमूना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है। आइए , आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

आपको बता दें कि हाल के वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता का तेजी से विस्तार हुआ है। विभिन्न क्षेत्रों में अब यह गेम-चेंजर भूमिका निभा रहा है। वहीं, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसमें निहित अपार संभावनाओं को पहचान लिया है। एएल प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल अब सार्वजनिक सेवा, शिक्षा माध्यमों में सुधार के मकसद के रूप में किया जा रहा है। अल-संचालित शिक्षा मंच सीखने के अनुभव में क्रांति ला रहे हैं। इसका इस्तेमाल अब शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रहा है, जिसका सीधा फायदा छात्राओं को मिल रहा है। इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत की महत्वाकांक्षी योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ अल सक्षम द्वारा संचालित एकीकृत सिस्टम कुशल शहरी नियोजन, यातायात प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन, और सार्वजनिक सुरक्षा। वहीं, एआई प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर अब सरकार नागरिकों को एक टिकाई स्थान प्रदान करने की कोशिश कर रही है। एआई प्रौद्योगिकियों में $967 बिलियन जोड़ने की उम्मीद है। वहीं, 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था और 2025 तक भारत की जीडीपी लगभग $500 बिलियन का योगदान एआई का हो सकता है।

यह देश के $5 ट्रिलियन सकल घरेलू उत्पाद लक्ष्य का 10% है। की परिकल्पना को साकार करने हेतु “मेक अल इन इंडिया और मेक अल वर्क फॉर इंडिया”, कृत्रिम उत्कृष्टता के तीन केंद्र शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में इंटेलिजेंस स्थापित करने का प्रस्ताव दिया गया है। हाल के वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी और आभासी संपत्तियों की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने एक कदम उठाया है। इसके अलावा, एक मील के पत्थर की उपलब्धि में, भारत दुनिया के पहले प्रमुख अर्थशास्त्रियों में से एक बन गया है ~~ एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीसी), अर्थात् डिजिटल रुपया जारी करने के लिए।

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