नई दिल्ली। सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक अब ‘मेटा’ के नाम से जानी जाएगी। गुरुवार को फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने एक मीटिंग के दौरान अपनी कंपनी फेसबुक का नाम बदलने का ऐलान किया। काफी समय से चर्चा थी कि शायद फेसबुक का नाम बदला जा सकता है। अब इसी प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। नाम बदलने के बाद अब फेसबुक ‘मेटा’ के नाम से जाना जाएगा। बता दें, लंबे समय से मार्क जुकरबर्ग अपने सोशल मीडिया कंपनी की दोबारा ब्रान्डिंग करना चाहते हैं। जुकरबर्ग फेसबुक को एकदम अलग पहचान देना चाहते हैं, एक ऐसी जहां फेसबुक को सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के तौर पर ना देखा जाए। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए फेसबुक का नाम बदल मेटा किया गया है। कंपनी का फोकस अब एक ऐसा मेटावर्स बनाने पर है जिसके जरिए एक ऐसी वर्चुअल दुनिया का आगाज होगा जहां पर ट्रांसफर और कम्यूनिकेशन के लिए अलग-अलग टूल का प्रयोग किया जा सकेगा।
क्या हैं नए नाम के मायने?
फेसबुक के फॉर्मर सिविक इंटीग्रिटी चीफ समिध चक्रवर्ती की तरफ से कंपनी के नए नाम को लेकर सुझाव दिया गया था। क्योंकि पहले से ही मार्क जुकरबर्ग, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी में भारी निवेश कर रहे थे, ऐसे में उनके लिए अपनी कंपनी का नाम बदल मेटा रखना कोई हैरान करने वाली बात नहीं थी। इस नए नाम के साथ ही अब फेसबुक केवल एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक सीमित नहीं रहेगा।
Announcing @Meta — the Facebook company’s new name. Meta is helping to build the metaverse, a place where we’ll play and connect in 3D. Welcome to the next chapter of social connection. pic.twitter.com/ywSJPLsCoD
— Meta (@Meta) October 28, 2021
नाम बदलने के साथ ही रोजगार के नए अवसर
फेसबुक का नाम बदलने के साथ ही मार्क जुकरबर्ग ने कई लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोल दिए हैं। खुद (फेसबुक) को दोबारा रीब्रान्ड करने के साथ ही कंपनी इसके अलावा अब 10 हजार के करीब नए लोगों को नौकरी पर रखने की भी तैयारी में है। ये सभी लोग मेटावर्स वाली दुनिया के निमार्ण कार्य में सहायता करने वाले हैं।
क्यों बदलना पड़ा नाम ?
फेसबुक का नाम बदलने का ये बड़ा कदम उस वक्त उठाया गया है जब फेसबुक पर कई गंभीर आरोपों से घिरा हुआ है। कंपनी पर आरोप है कि वो अपने यूजर्स के डेटा को सुरक्षित नहीं रख पा रहा। हाल ही में फेसबुक के पूर्व कर्मचारी Frances Haugen ने जब कंपनी के कुछ सीक्रेट डॉक्यूमेंट लीक कर दिए थे, उसमें ये सामने आया था कि फेसबुक ने यूजर सेफ्टी के ऊपर अपने खुद के मुनाफे को जगह दी थी। हालांकि मार्क ने इसे झूठ करार दिया था लेकिन इन डॉक्यूमेंट के चलते उसकी काफी किरकिरी हुई थी।