नई दिल्ली। कहते हैं , जब लोग प्यार में होते हैं तो रातों की नींद..दिन का चैन सब उड़ जाता है। सदियां गुज़रती गई, पीढ़ियां बदलती गई लेकिन ये एहसास नहीं बदला, लेकिन 21वीं सदी में एक ज़बरदस्त क्रांति आई, प्यार की ये भावना तो नहीं बदली लेकिन प्यार करने वाले बदल गए। पहले ऐसा प्यार दो इंसानों के बीच होता था। अब ये नींद और चैन उड़ाने वाला प्यार, इंसान और Mobile के बीच होता है।
ऐसा प्यार कि लोग उसे चौबीस घंटे साथ रखते हैं..यहाँ तक कि कई लोग उसे बाथरूम में भी ले कर जाते हैं। इस Digital प्यार में इंसान इतना पागल हो चुका है ,कि लोगों के mental health और social behaviour पर इसका गहरा असर होने लगा है। बच्चों को समाज में लोगों से घुलने-मिलने में कोई interest नहीं है, आस-पास क्या हो रहा है, ये नहीं जानना है..बस interest है तो Screen और games में। लेकिन ये हाल सिर्फ़ बच्चों का नहीं है..बड़े और समझदार लोग भी इसका ज़बरदस्त शिकार हुए हैं। दिन भर Facebook और Instagram पर अपनी personal life की Photos post करना। पागलों की तरह reels बनाना..सोशल मीडिया पर Likes और Followers बढ़ाने के लिए Edit और Filter की हुई तस्वीरें डालना- लिस्ट काफ़ी लंबी है..और बीमारी काफी गंभीर। Doctors के मुताबिक screen addiction एक mental illness है, जिसके लिए अब proper treatment होने लगे हैं । इस treatment को digital detox का नाम दिया गया है। इस बीमारी से निपटने के लिए कई SHUT Clinic खुल गए हैं। AIIMS में भी ये शुरू हो चुका है।
SHUT का Full Form है (Service for Healthy Use of Technology। पहली shut clinic की शुरुआत Bagaluru में National Institute Of Mental Health and Neuroscience centre में हुई थी। उसके बाद ये Shut clinic कई hospitals में खुलने लगे । Bengaluru के Nimhans hospital में भी इसकी सेवाएं उपलब्ध हैं। इस clinic में बड़ी संख्या में लोग अपने technology addiction की problems को लेकर आते हैं। Shut clinic के Doctor Manoj sharma ने Bangalore की Urban societies में surve के आधार पर कुछ data share किए हैं जिसके मुताबिक:
1. 18-25 साल के age group में करीब 5% youth social networking site से addicted हैं।
2.क़रीब 24% महिलाएँ internet के Problematic usage का शिकार हैं।
3.18-65 साल के age group में 1.3 per cent लोग internet से addicted हैं,, 3.5% सोशल networking site से , 4% Online shopping से , .2% online pornography से , 1.2% gambling addiction से और 4.1% overall mobile फोन से । Survey में पाया गया कि singles और unmarried लोगों में digital addiction, family person के मुकाबले कहीं ज्यादा है
4. वहीं बच्चों में ये संख्या और भी ज़्यादा है। जिसमें 70% digital addiction PUBG का है।
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