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Technical Fraud: टेक्निकल फ्रॉड का शिकार हुए लोगों के लिए काम की खबर, ठगी का शिकार हुए लोगों को मिल सकती है बड़ी मदद

नई दिल्ली। आज की तारीख में हम तकनीक के इर्द-गिर्द ही जी रहे हैं। अपने व्यवहारिक जीवन में हम तकनीक की महत्ता का अंदाजा महज इसी से लगा सकते हैं कि हमारी सुबह की शुरुआत से लेकर रात तक तकनीक की सोहबतों में ही बीतती है। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि रोटी, कपड़ा और मकान के बाद आज मानव की चौथी जरूरत तकनीक है। बिना तकनीक के हम अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए अब तकनीक से संबंधित नियमों में कुछ प्रावधान किए गए हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको आगे कुछ ऐसे ही नियमों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 डी के अंतर्गत कंप्यूटर संसाधन का उपयोग करके धोखाधड़ी के लिए 3 साल की सजा और 1 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। वहीं, आईटी मध्यस्थ नियम नियम 3(1)(बी)(vii): सोशल मीडिया मध्यस्थ को नियमों और विनियमों, गोपनीयता नीति या मध्यस्थ के उपयोगकर्ता समझौते को सुनिश्चित करने सहित उचित परिश्रम का पालन करना होगा, उपयोगकर्ताओं को किसी अन्य व्यक्ति का प्रतिरूपण करने वाली किसी भी सामग्री की मेजबानी न करने की जानकारी देनी होगी।

उधर, नियम 3(2)(बी): मध्यस्थ, किसी भी सामग्री के संबंध में शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर। इलेक्ट्रॉनिक में प्रतिरूपण की प्रकृति में फॉर्म, जिसमें ऐसे व्यक्ति की कृत्रिम रूप से रूपांतरित छवियां शामिल हैं। ऐसी सामग्री को हटाने या उस तक पहुंच को अक्षम करने के लिए सभी उपाय करें।

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