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23 जून को शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के 83वें प्राकट्य महोत्सव के अवसर पर दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होगा राष्ट्रोत्कर्ष दिवस का आयोजन

श्री मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज जी के बारे में परिचय देते हुए मातृ प्रसाद मिश्रा ने कहा कि पुरी पीठाधीश्वर श्री मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती आदि शंकराचार्य के परम्परा को शत-प्रतिशत पालन करते हुए भारत-नेपाल की यात्रा करते हुए आज दिल्ली पहुंचे हैं। आदि शंकराचार्य जी का प्राकटय ईसा से 507 वर्ष पूर्व हुआ था। यदि आदि शंकराचार्य नहीं होते तो आज हम लोग हिन्दू नहीं होते, आज हम जगन्नाथपुरी की यात्रा करते हैं अगर आदि शंकराचार्य नहीं होते तो यह संभव नहीं होता क्योंकि 164 वर्षों तक आतातायियों ने इस पर अपना कब्जा जमाए हुए था।

नई दिल्ली। पुरी पीठाधीश्वर श्री मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी की 83वें जयन्ती महोत्सव के शुभ अवसर पर श्री मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में 23 जून सायं 5 बजे से नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में दिव्य तथा भव्य भारत के निर्माण को लेकर राष्ट्रोत्कर्ष दिवस आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश को लेकर आज कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया I प्रेस वार्ता को आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं युग संस्कृति न्यास के संस्थापक आचार्य धर्मवीर, पुरी पीठ के प्रतिनिधि मातृ प्रसाद मिश्रा, पीठ परिषद् के राष्ट्रीय कार्यकारी प्रेसिडेंट अश्विनी मलिक कार्यक्रम संयोजक संदीप गर्ग एवं संजय उपाध्याय ने संबोधित किया I इस अवसर पर आयोजन समिति एवं स्वागत समिति के सदस्य उपस्थित थे l

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए
आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं युग संस्कृति न्यास के संस्थापक आचार्य धर्मवीर ने कहा कि महाराजश्री का संकल्प है भारत को संपूर्ण हिन्दू राष्ट्र बनाने का इसी के निमित यह विशाल राष्ट्रोत्कर्ष दिवस एवं महाधिवेशन आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में दिल्ली की माननीय मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एवं हर्ष मल्होत्रा, सांसद संबित पात्रा यूजीसी के चेयरमैन, दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, नेपाल के राजदूत एवं दिल्ली में सभी स्टेट भवनों के पदाधिकारी सहित देश भर के संत शामिल होगें एवं कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के लिए कई देशों के प्रमुख नेताओं एवं प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। इसके अलावे मिथिलांचल, नेपाल एवं अन्य राज्यों एवं देशों के महाराजश्री के सर्मथक एवं भक्तजन आ रहे हैं। आचार्य धर्मवीर ने कहा कि कार्यक्रम का आरंभ 551 महिलाओं द्वारा भव्य कलष यात्रा से होगी। भारतीय सांस्कृतिक परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोगों को आने एवं कार्यक्रम को सफल बनाने का आग्रह किया ।

आयोजन के संयोजक संदीप गर्ग ने बताया कि पुरी पीठाधीश्वर श्री मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी की 83वें जयन्ती महोत्सव के शुभअवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में देश-विदेश से बड़ी संख्या में राष्ट्रप्रेमी एवं सनातन धर्म को मानने वाले प्रतिनिधि सम्मिलित होने जा रहे हैं।

पुरी पीठ के प्रतिनिधि मातृ प्रसाद मिश्रा, ने कहा कि पुरी पीठाधीश्वर महाराज श्री मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी राष्ट्रोत्कर्ष अभियान को सफल बनाने के लिए वर्षभर दिव्य धर्म सभा के रूप में देश के विभिन्न शहरों में दिव्य यात्रा करते हुए इस राष्ट्र अभियान को जन जन तक पहुंचा रहे हैं I उन्होंने कहा कि महाराजश्री का मानना है कि सनातन धर्म बचेगा तो मानव का कल्याण होगा, विश्व में शांति होगी, भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा I महाराजश्री धर्मविनियमित पक्षपात रहित सनातन धर्म तंत्र भारत में कैसे स्थापित हो इस विषय पर विभिन्न राष्ट्रभक्त वक्ताओं विचार लेते हुए 23 जून को तालकटोरा स्टेडियम के प्रांगण में उपस्थित हजारों लोगों के सामने पुनः अपनी वाणी से राष्ट्र को संबोधित करेंगे।

श्री मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज जी के बारे में परिचय देते हुए मातृ प्रसाद मिश्रा ने कहा कि पुरी पीठाधीश्वर श्री मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती आदि शंकराचार्य के परम्परा को शत-प्रतिशत पालन करते हुए भारत-नेपाल की यात्रा करते हुए आज दिल्ली पहुंचे हैं। आदि शंकराचार्य जी का प्राकटय ईसा से 507 वर्ष पूर्व हुआ था। यदि आदि शंकराचार्य नहीं होते तो आज हम लोग हिन्दू नहीं होते, आज हम जगन्नाथपुरी की यात्रा करते हैं अगर आदि शंकराचार्य नहीं होते तो यह संभव नहीं होता क्योंकि 164 वर्षों तक आतातायियों ने इस पर अपना कब्जा जमाए हुए था। यही बात बदरीनाथ, नेपाल के काठमांडू के पशुपति नाथ महादेव हैं वहां भी विधर्मियों ने कब्जा जमा रखा था। आदि शंकराचार्य जी न हिंसा, न गोली और न हीं गाली का प्रयोग करते हुए सिर्फ 32 वर्ष की उम्र में ही चारों धाम का पुनरुद्वार कर पीठ बनाकर कैलाश गमन किए।
उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए पुरी पीठाधीश्वर श्री मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज 145 वें शंकराचार्य दुनिया में अकेले पूर्ण सनातनी हैं। महाराजश्री विश्व प्रख्यात गणितज्ञ हैं और विश्व के टॉप गणितज्ञ महाराजश्री से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं और इनसे सलाह-मश्विरा करते रहते हैं। चाहे उत्तर कोरिया हो या दक्षिण कोरिया, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हो या कैम्ब्रिज, हार्डवर्ड यूनिवर्सिटी, नासा से जुड़े वैज्ञानिक, विश्व बैंक एवं यूएनओ भी महाराजश्री से विभिन्न मुद्वे पर सलाह-मश्विरा लेकर कार्य करते हैं।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष, पीठ परिषद अश्वनी कुमार मलिक ने कहा कि सनातन आर्य वैदिक शास्त्रसम्मत शासनतंत्र की प्रतिष्ठा कर भारत को एक सूत्र में पिरोने वाले आदि शंकराचार्य जी की पावन परंपरा में ऋग्वेदीय पूर्वान्माय श्रीगोवर्द्वनमठ के 145वें शंकराचार्य पुरीपीठाधीष्वर अनन्तश्री विभूषित स्वामी निष्चलानंद सरस्वती जी आदि शंकराचार्य जी के ही पद्चिन्हों का अनुसरण करते हुए सनातन शस्त्रसम्मत षासनतंत्र अखंड भारत के लक्ष्य की पूर्ति हेतु विगत 30 वर्षों से भी अधिक समय से वर्ष में 250 से भी अधिक दिनों तक राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के अंतर्गत पूरे भारत में जन-जागरण कर स्वस्थ वैचारिक क्रांति का सूत्रपात कर रहे हैं।

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