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Fact Check: कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को लेकर The Lallantop के दावे की हकीकत जानिए

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को पूरी परवरिश करने का आदेश जारी किया गया। केंद्र सरकार की तरफ से इसको लेकर कहा गया कि ऐसे बच्चों के रहने खाने, शिक्षा से लेकर उनके लिए भत्ता और फिर उनको एक रकम केंद्र सरकार की तरफ से दी जाएगी। इस पूरे मामले पर इसके बाद राजनीति गर्म हो गई। वहीं केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद ऐसे अनाथ हुए बच्चों के आंकड़ों को लेकर भी सवाल जवाब किए जाने लगे। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने इसको लेकर राज्यों से आंकड़े भी मांगे हैं। लेकिन एक खबरिया न्यूज पोर्टल The Lallantop ने जो दावा किया उसकी हकीकत कुछ और ही निकली।

दरअसल लल्लनटॉप की तरफ से दावा किया गया कि केंद्र सरकार कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों को लेकर झूठ बोल रही है। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अनाथ बच्चों को लेकर जो आंकड़ा दिया है वह गुमराह करनेवाला है। मतलब आंकड़े में हेराफेरी के साफ संकेत दिख रहे हैं।

आपको बता दें कि The Lallantop ने लिखा कि केंद्र सरकार के द्वारा अनाथ हुए बच्चों की संख्या छुपाई जा रही है। उसमें यह भी दावा किया गया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के द्वारा ट्विटर के जरिए दिए गए आंकड़े अलग-अलग हैं और दोनों में काफी अंतर है। लेकिन लल्लनटॉप ने यह नहीं बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अनाथ हुए ऐसे बच्चों का जो डाटा पेश किया वह मार्च 2020 से 29 मई 2021 तक का है। जबकि स्मृति ईरानी ने अपने ट्विटर पर जो डाटा डाला है वह 1 अप्रैल 2021 से 25 मई 2021 के बीच कोरोना से अनाथ हुए बच्चों का डाटा था। ऐसे में The Lallantop द्वारा दो अलग-अलग अवधि के डाटा की तुलना कर फर्जी खबर फैलाई गई।

दावा: WHO ने मानी गलती, कहा- कोरोना से बचने के लिए Social Distancing जरूरी नहीं?, जानिए क्या है सच

वहीं WHO को लेकर भी एक संदेश के जरिए दावा किया जा रहा है कि संस्था ने अपनी गलती मानते हुए यू-टर्न लिया है औऱ कहा के कि कोरोना वायरस एक मौसमी वायरस है और WHO की तरफ से कहा जा रहा है कि यह मौसम के बदलाव के दौरान होने वाला खांसी, जुखाम, गला दर्द है, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। साथ ही संदेश में दावा किया जा रहा है ऐसे में न ही मरीज को सामाजिक दूरी बनाने की जरूरत है और न ही आम जनता को इसकी जरूरत है।

#PIBFactCheck ने ऐसे में स्पष्ट कर दिया कि यह दावा #फर्जी है। #COVID19 एक संक्रामक रोग है व इसमें #कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाना आवश्यक है।

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