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General Bajwa: पाक सेना प्रमुख जनरल बाजवा का दर्द छलका, बोले- भारत से 1971 की जंग राजनीतिक विफलता से हारे

general Bajwa

इस्लामाबाद। पाकिस्तान और उसकी सेना को रह-रहकर 1971 में भारत से हुई जंग की टीस सताती है। उस जंग में पाकिस्तान के दो हिस्से हो गए थे। पूर्वी पाकिस्तान नए आजाद देश बांग्लादेश के तौर पर बना था। भारत के साथ 1971 की जंग में पाकिस्तान के 93000 सैनिक युद्धबंदी बनाए गए थे। दुनिया में आज तक कहीं भी युद्धबंदियों की इतनी तादाद नहीं रही है। यही टीस अब पाकिस्तानी सेना से रिटायर होने जा रहे जनरल कमर जावेद बाजवा की जुबान से भी निकली है। जनरल बाजवा ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि 1971 की जंग और बांग्लादेश का बनना सेना नहीं, बल्कि राजनीतिक विफलता थी। बाजवा ने कहा कि वो 1971 की जंग के मसले पर तथ्यों को सही करना चाहते हैं।

जनरल बाजवा ने कहा कि 1971 में सेना की नाकामी नहीं थी। हमारी सेना पूर्वी पाकिस्तान में हिम्मत से लड़ी थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना हमेशा मुल्क की रक्षा के लिए तैयार है। वो देशहित के खिलाफ कभी काम नहीं करेगी। सेना की आलोचना कीजिए, लेकिन उसके लिए शब्दों पर ध्यान देना चाहिए। बाजवा ने कहा कि कोई भी पाकिस्तानी फौज और लोगों के बीच दरार नहीं डाल सकता। उन्होंने भारत पर भी निशाना साधा। बाजवा ने कहा कि सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उल्लंघन भारतीय सेना करती है, लेकिन वहां के लोग सेना की आलोचना नहीं करते।

बाजवा के रिटायर होने के बाद 6 अफसरों में से किसी एक को सेना प्रमुख का पद सौंपा जा सकता है। ये हैं लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर। वो पाक सेना के सबसे वरिष्ठ अफसर हैं। 2008 में आईएसआई चीफ भी रहे हैं। दूसरे हैं लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशा। शमशाद सिंध रेजीमेंट के हैं। तालिबान के खिलाफ जंग लड़ी है। तीसरे अफसर लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास हैं। अजहर, बाजवा के पर्सनल स्टाफ अफसर हैं। भारत के बारे में जानकार माने जाते हैं। चौथे अफसर हैं लेफ्टिनेंट जनरल नौमान महमूद। नौमान भी आईएसआई चीफ रहे हैं। पांचवें अफसर लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद हैं। फैज काफी चर्चित हैं। आईएसआई प्रमुख के तौर पर काम किया है। छठे अफसर लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अमीर हैं। वो पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के मिलिट्री सेक्रेटरी रहे।

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