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Ajab-Gazab News: एक विचित्र सी जनजाति जो परिजनों की मौत के बाद खा जाती है उनकी लाशें, जानिए क्या है ये भयानक सा रिवाज?

Ajab-Gazab News: इस जनजाति से संबंधित कई ऐसी बातें हैं जो हैरान कर देती हैं, लेकिन इनमें सबसे आश्चर्य करने वाला रिवाज इनका अंतिम संस्कार का तरीका है। इस जनजाति के लोग मरने के बाद अपने सगे-संबंधियों और मित्रों की लाशों को अपना आहार बना लेते हैं।

नई दिल्ली। दुनिया में कई तरह की मान्यताएं, रीति-रिवाज और परंपराएं प्रचलित हैं। कई तो ऐसी हैं, जिन्हें जानकर हैरानी होती है। हालांकि, विकसित होती सभ्यता में ये सब कहीं विलुप्त हो गया है, लेकिन फिर भी कई लोग ऐसे हैं जो आज भी पूरी शिद्दत से उनका पालन करते हैं। इनमें से ग्रामीण क्षेत्रों और जनजातियों के लोगों का नाम सबसे पहले आता है। ये लोग बदलते दौर में भी अपनी सभ्यता और संस्कृति को सहेजने में लगे हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक बेहद विचित्र जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने प्रियजनों की मौत के बाद उनके मृत शरीर को खा जाती है। ब्राजील और वेनेजुएला के बॉर्डर पर निवास करने वाली ‘यानोमामी’ नाम की ये जनजाति अमेजन के जंगलों में रहने वाली प्रमुख जनजातियों में से एक है। साल 1759 में इस जनजाति के बारे में पता चला था, जब स्पेन के खोजी Apolinar Diez de la Fuente पडामो नदी के पास रहने वाले लोगों से मिलने के लिए पहुंचे थे। करीब 35,000 सदस्यों वाली ये जनजाति अमेजन रेनफॉरेस्ट में करीब 200-250 गांवों में निवास करती है।

इस जनजाति से संबंधित कई ऐसी बातें हैं, जो हैरान कर देती हैं, लेकिन इनमें सबसे आश्चर्य करने वाला रिवाज इनका अंतिम संस्कार का तरीका है। इस जनजाति के लोग मरने के बाद अपने सगे-संबंधियों और मित्रों की लाशों को अपना आहार बना लेते हैं। इनका मानना है कि इंसान की मृत्यु कोई प्राकृतिक क्रिया नहीं है, बल्कि वो किसी बुरी शक्ति के प्रकोप से होती है। इस जनजाति में किसी की मौत होने पर उसकी लाश को गांव से कुछ दूर ले जाकर करीब 40-45 दिनों के लिए, उसे सड़ाने के उद्देश्य से रख देते हैं। सड़ने के बाद लाश के बच्चे हुए बॉडी पार्ट जैसे हड्डियों और अन्य चीजों को जला दिया जाता है।

इससे बची राख को मृतक के परिजनों द्वारा केले में मिलाकर एक खास तरह का सूप तैयार किया जाता है, जिसे पूरे गांव में वितरित किया जाता है। इस सूप को बनाना और बांटना तब तक जारी रहता है, जब तक राख पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाती। यहां के लोगों का कहना है कि इससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है, साथ ही लाश की राख खाने से लोगों के अंदर शक्ति और ताकत भी बढ़ती है।

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