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पत्रकारों के लिए असुरक्षित मुल्क बना पाकिस्तान, लाहौर प्रेस क्लब के बाहर दिनदहाड़े पत्रकार की गोली मारकर कर दी गई हत्या  

pakistani journalist

नई दिल्ली। चलिए, इसी खबर के बहाने ही सही, लेकिन इतना जरूर पता लग गया कि पाकिस्तान में हर रोज जम्हूरियत का जनाजा क्यों निकाला जाता है। आखिर क्यों पाकिस्तान के बाशिंदे अपनी बेहाली का रोना रोते हैं। आखिर क्यों पाकिस्तानी जम्हूरियत अब अपनी जिंदगी की आखिरी सांसें गिनने में मसरूफ हो चुकी है। आखिर क्यों पाकिस्तानी जम्हूरियत अब बेबसी के सभी मानकों को ध्वस्त करती जा रही है। अब आप पूछेंगे कि आखिर वो कैसे। तो आपको बताते चले कि वो ऐसे कि जम्हूरियत को महफूज रखने की नैतिक जिम्मेदारी लेने वाले पत्रकार वहां महफूज नहीं हैं। आप पाकिस्तान में पत्रकारों की असुरक्षा का अंदाजा महज इसी से लगा सकते हैं कि सुबह दफ्तर में निकलने वाला पत्रकार रात्रिकालीन भोजन अपने परिजनों के साथ कर पाएगा कि नहीं इसका पता भी उसे नहीं होता है। इसकी ताजा बानगी हमें तब देखने को मिली, जब लाहौर प्रेस क्लब के बाहर पाकिस्तानी पत्रकार हसनैन शाही को सरेआम हथियारबंद लोगों ने अपनी गोलियों का शिकार बना लिया। ये हथियारंबद लोग कौन थे, कहां से आया थे, किस मकसद से आए थे, आखिर क्या थी उनकी इस पत्रकार से दुश्मनी, यह सभी सवाल अभी अनुत्तरित बने हुए हैं। बहरहाल, पुलिस ने इस पूरे मसले को संज्ञान में लेने के बाद इसकी मुकम्मल जांच करने की बात कही है। अब ऐसे में आगे चलकर यह पूरा मामला क्या रुख अख्तियार करता है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन उससे पहले इस पूरे मामले से पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के पत्रकारिय जमात में सनसनी का आलम है।

आपको बताते चले कि हसनैन शाही एक निजी न्यूज़ चैनल में क्राइम रिपोर्टर थे। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, वारदात के वक्त हसनैन अपनी कार के अंदर बैठे थे, तभी कुछ बाइकसवार हथियारबंद अज्ञात बदमाश आए और उन पर गोलियां चला दी। वहीं, लाहौर सीसीपीओ फैयाज अहमद ने इस पूरे घटना के संदर्भ में तफसील से बताते हुए कहा कि, इस घटना की जांच शुरू कर दी गई है। घटनास्थल से पाए गए तमाम साक्ष्यों का इस्तेमाल अपराधियों को पकड़ने की दिशा में किया जाएगा। पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (पीएफजेयू) के अध्यक्ष शहजादा जुल्फिकार, महासचिव नासिर जैदी और कोषाध्यक्ष जुल्फिकार अली महतो ने घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि प्रांतीय सरकार शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है।

वहीं, लाहौर आर्थिक पत्रकार संघ ने इस पूरे मामले की भत्सर्ना करते हुए कहा कि, ‘इस मामले ने एक मर्तबा फिर से इस बात की तस्दीक कर दी कि पाकिस्तान में पत्रकारों की जान सुरक्षित नहीं है। वहीं, लाहौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष आजम चौधरी ने कहा कि प्रेस क्लब के बाहर किसी पत्रकार की हत्या हो जाना इस बात का सुबूत है कि पत्रकारों की जान की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तानी सरकार संजीदा नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रेस क्लब के बाहर सरेआम जिस तरह से पत्रकार को गोली मार दी गई है, उसे यह साफ जाहिर होता है कि देश में पत्रकारों की जान सुरक्षित नहीं है। ऐसे में सरकार को समय रहते कोई उचित कदम उठाना होगा।

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