नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वहां की इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने अदालत की अवमानना के आरोप में 6 महीने जेल की सजा सुनाई है। जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार, जस्टिस मोहम्मद शफीउल आलम महमूद और जस्टिस मोहम्मद मोहितुल हक इनाम चौधरी ने शेख हसीना के लिए सजा का ऐलान किया है। शेख हसीना पर भ्रष्टाचार से लेकर हत्या तक के कई गंभीर आरोप हैं। शेख हसीना ने अपने बचाव के लिए वकील अमीर हुसैन को खड़ा किया है। उन्होंने अपने वकील के जरिए कोर्ट में हलफनामा देते हुए अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया है।
इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए आदेश जारी करते हुए उनको 24 जून को अदालत में पेश होने को कहा था। शेख हसीना सरकार में गृह मंत्री रहे असदुज्जमां खान और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी इस मामले में सह-आरोपी बनाया गया है। शेख हसीना पर आरोप है कि पिछले साल जुलाई 2024 में बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन के दौरान उन्होंने नागरिकों पर गोलीबारी का आदेश दिया था। शेख हसीना ने तख्तापलट के बाद बांग्लादेश से भागकर भारत में शरण ली हुई है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अतंरिम सरकार हालांकि कई बार भारत से शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग कर चुकी है मगर भारत ने हर बार उसकी मांग ठुकरा दी।
बांग्लादेश में जब से शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुआ है वहां हालात सामान्य नहीं हैं। अल्पसंख्यक हिंदुओं को लगातार कट्टरपंथी मुसलमनों के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू मंदिरों पर भी कई बार तोड़फोड़ की गई है। हालांकि भारत इस मामले को गंभीरता से बांग्लादेश सरकार के समक्ष उठाता रहता है। भारत सरकार के साथ भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के रिश्ते कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं। बांग्लादेश का चीन और पाकिस्तान की तरफ झुकाव बढ़ गया है।