नई दिल्ली। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए आदेश जारी करते हुए 24 जून को अदालत में पेश होने को कहा है। शेख हसीना पर आरोप है कि पिछले साल जुलाई 2024 में बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन के दौरान उन्होंने नागरिकों पर गोलीबारी का आदेश दिया जिस वजह से ट्रिब्यूनल में उनके खिलाफ हत्या और जनसंहार जैसे गंभीर आरोपों के मामले लंबित हैं। शेख हसीना सरकार में गृह मंत्री रहे असदुज्जमां खान और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी इस मामले में सह-आरोपी बनाया गया है।
चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को पहले ही बांग्लादेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद उनकी ट्रिब्यूनल के समक्ष पेशी हो चुकी है। जबकि शेख हसीना ने तख्तापलट के बाद अपनी जान बचाने के लिए बांग्लादेश से भागकर भारत में शरण ली हुई है। वहीं असदुज्जमां खान फरार हैं और उनके बारे में फिलहाल कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि वो कहां हैं। आपको बता दें कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने सत्ता संभालते ही शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग के नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी थी। शेख हसीना समेत उनकी पार्टी के बहुत से पदाधिकारियों के खिलाफ हत्या जैसे गंभीर मामलों में केस दर्ज किए गए हैं।
यूनुस सरकार हालांकि कई बार भारत से शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग कर चुकी है मगर भारत ने हर बार उसकी मांग ठुकरा दी। हाल ही में खबर आई थी कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां और सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के बीच देश में चुनाव को लेकर तल्खी है। मोहम्मद यूनुस ने तो यहां तक कह दिया था कि उनको काम करने में घुटन महसूस हो रही है। माना जा रहा था कि यूनुस इस्तीफा दे देंगे हालांकि उन्होंने पद नहीं छोड़ा।