नई दिल्ली। जानवरों और इंसानों में क्या फर्क होता है ? आप कहेंगे कि भई ये भी कोई सवाल है। जानवरों और इंसानों में तो जमीन आसमान से भी बड़ा फर्क होता है। जो बुद्धिमानी, जो समझदारी इंसानों में होती है वो जानवरों में नहीं होती। लेकिन जनाब इस मुगालते में मत रहिएगा क्योंकि एक ऐसा रिसर्च सामने आया है जिसने ये साबित कर दिया कि कई जानवर हमारी और आपकी तरह ही एकदम हाई IQ लेवल वाले होते हैं। सुनकर आपको बेशक हैरानी हो सकती है लेकिन ये बिल्कुल सच है, तो कौन सी है ये शोध और उसमें कुछ चुनिंदा जानवरों को लेकर क्या कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं आपको हम इस खबर में बताने जा रहे है। दरअसल में, फ्रंटियर न्यूरोएनाटॉमी नाम के जर्नल में प्रकाशित अलग अलग जानवरों के ऊपर किए गए इस शोध के मुताबिक, मछलियां किसी चीज की क्वांटिटी को बेहतर तरीके से समझती और आसानी से उनकी गिनती भी कर सकती हैं। दूसरी ओर, मधुमक्खियां कुशलता के साथ एक ही रंग के किसी चित्र को देखकर उसकी पहचान कर सकती हैं।
शोधकर्ताओं की मानें तो उनकी ये समझ इंसानों के काम भी आ सकती है। इसके अलावा इस शोध में ये भी पता चला कि मछलियां गणित को समझती हैं। वो ये समझ सकती हैं कौन सी चीज बड़ी और कौन सी छोटी है…कौन सी चीज संख्या में ज्यादा और कौन सी कम है। बेशक इनका हिसाब-किताब का तरीका मनुष्यों की तरह नहीं होता, लेकिन शोध में ये जरूर साबित हुआ कि इन्हें भी मैथ्स की बेसिक समझ है। शोधकर्ताओं के निकाले गए निष्कर्ष के मुताबिक, सिर्फ मछली और मधुमक्खी ही नहीं बल्कि कई जानवर ऐसे हैं जो अपने हिसाब से गिनती समझ लेते हैं, इनमें भालू, मुर्गियां और चिंपांजी जैसे जानवर शामिल हैं। ये गणित को अपने अपने तरीके से समझते हैं। इनमें गणित की इस समझ के पीछे इनके पूर्वज और इवोल्यूशन की अहम भूमिका हो सकती है। ये जानवर जो कुछ भी सीखते गए वो इंसानों की तरह अगली पीढ़ी तक पहुंचता गया। इस शोध में शामिल लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लार्स चिटट्का बीते 30 सालों से मधुमक्खियों पर स्टडी कर रहे हैं। चिटट्का के मुताबिक, मधुमक्खियों में भी भावनाएं होती हैं, वे चीजों की योजना बनाने के साथ ही कल्पना भी कर सकती हैं। रिसर्चर्स ने कहा कि अध्ययन के दौरान हमने मधुमक्खियों को प्रशिक्षण भी दिया।
इस प्रशिक्षण में उन्हें एक साथ इंसानों की कई मोनोक्रोम तस्वीरें दिखाई गईं। इसके बाद उन्होंने बड़ी चतुराई के साथ दिखाए गए क्रम की पहचान कर ली। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस काम के लिए उन्हें इनाम के तौर पर चीनी दी गई। एक दूसरी स्टडी के दौरान मधुमक्खी बार बार उस जगह पर ज्यादा जाती थीं जहां मीठी चीजें रखी थीं। जब मधुमक्खी पहेली के पास जाती थी तो वहां 1 से लेकर 5 तक के नंबर के आकार दिखाई देते थे। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में किए गए एक और अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ कि मधुमक्खी जीरो को भी पहचान सकती है। इसलिए इसे जोड़ना-घटाना और गिनती करना भी सिखाया जा सकता है।
मधुमक्खियों के अलावा शोधकर्ताओं ने मछलियों के बारे में नई जानकारी हासिल करने के लिए इन पर हुए 200 अध्ययनों को पढ़ा और बारीकी से समझा। इनकी समीक्षा में ये सामने आया कि मछलियां इंसानों की तरह भारी भरकम सवाल तो हल नहीं कर सकती, लेकिन इतना जरूर पता लगा सकती हैं कि उनके सामने समुद्र में मौजूद कई कोरल रीफ में से कौन सी जगह छिपने के लिए सबसे मुफीद है। इस रिसर्च के लेखक प्रोफेसर जियॉर्जियो वेलोर्टिगारा का कहना है कि इस मामले में जेब्राफिश की कई प्रजातियां काफी बेहतर होती हैं। ये मछलियां ये भी समझती हैं कि पानी में तैरते वक्त उनके ग्रुप में साथियों की संख्या कम है या ज्यादा।