वॉशिंगटन। गए थे नमाज पढ़ने और रोजे गले पड़ गए! ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। ऐसा ही पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और उनके साथ अमेरिका पहुंचे पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के साथ हो गया। दरअसल, बिलावल के नेतृत्व में पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को डेमोक्रेटिक सांसद ब्रैड शेरमैन से मुलाकात की। बिलावल समेत पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के लोगों को शायद उम्मीद थी कि 70 साल के ब्रैड शेरमैन भारत के खिलाफ उनका साथ देंगे, लेकिन यहां उल्टा हो गया। ब्रैड शेरमैन ने बिलावल भुट्टो और साथ गए लोगों से साफ कहा कि पाकिस्तान को आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
I emphasized to the Pakistani delegation the importance of combatting terrorism, and in particular, the group Jaish-e-Mohammed, who murdered my constituent Daniel Pearl in 2002. Pearl’s family continues to live in my district, and Pakistan should do all it can to eliminate this…
— Congressman Brad Sherman (@BradSherman) June 5, 2025
अमेरिका के सांसद ब्रैड शेरमैन ने ये भी कहा कि जैश पर कार्रवाई से दहशतगर्दों का संगठन खत्म होगा। इसके अलावा ब्रैड शेरमैन ने पाकिस्तान में साल 2002 में अमेरिका के पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या का मुद्दा भी उठाया। ब्रैड शेरमैन ने साथ ही कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चिंता का बड़ा कारण है। अमेरिका के सांसद ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदुओं, ईसाइयों और अहमदिया मुस्लिमों को हिंसा, उत्पीड़न और भेदभाव के बिना अपने धर्म का पालन करने देना चाहिए। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी हिस्सा लेने की मंजूरी दी जाए।
ब्रैड शेरमैन की बात सुनकर बिलावल भुट्टो जरदारी और पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के अन्य लोगों को झटका लगना स्वाभाविक है। इससे पहले जब बिलावल भुट्टो ने पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा उठाकर ये कहा था कि इसके बाद से भारत में मुस्लिमों को राक्षस की तरह देखा जा रहा है, तो एक विदेशी पत्रकार ने कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लेकर बिलावल भुट्टो की बोलती बंद कर दी थी। बता दें कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सांसदों और राजनयिकों के 7 दल 34 देशों में भेजे। ऐसे में देखादेखी करते हुए पाकिस्तान ने पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में अपना भी एक दल पक्ष रखने के लिए अमेरिका और अन्य देशों में भेजा है। हालांकि, चीन के अलावा कोई भी देश पाकिस्तान का पक्ष लेता नहीं दिख रहा है। यहां तक कि जिस कोलंबिया ने ऑपरेशन सिंदूर में आम लोगों की मौत का मुद्दा उठाकर पाकिस्तान का साथ दिया था, उसने भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल की ओर से दिए अकाट्य तर्कों को सुन अपना बयान वापस लेने का एलान कर दिया।