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भारत के पक्ष में ब्रिटेन सरकार के इस कदम से लगेगा खालिस्तानियों और पाकिस्तानियों को झटका!

नई दिल्ली। दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान प्रदर्शनों को ढाल बनाकर खालिस्तानी समर्थक सक्रिय भूमिका में नजर आ रहे हैं। कभी देश में उनके समर्थन में लगे नारे तो कभी देश के बाहर खालिस्तानियों द्वारा प्रदर्शन देखे जाते हैं। इससे खालिस्तानियों को बल मिलता दिखाई दे रहा था। किसान आंदोलनों को आधार बनाकर ऐसे समर्थक भारत के खिलाफ आवाजें बुलंद करने की फिराक में नजर आ रहे थे। ऐसे में खालिस्तानियों और पाकिस्तानियों को उस वक्त झटका लगा जब ब्रिटेन में Downing Street द्वारा House of Lords के लिए जारी की गई लिस्ट में खालिस्तान समर्थक Dabinderjit Singh Sidhu का नाम नहीं था। बता दें कि सिख फेडरेशन यूके के प्रमुख सलाहकार दबिंदरजीत सिंह सिद्धू जोकि International Sikh Youth Federation (ISYF) का पूर्व सदस्य है, उसे भारत में बैन किया गया है लेकिन साल 2016 में इस संस्था से साल 2016 में बैन हटा दिया था।

माना जा रहा है कि मंगलवार को भारत और ब्रिटेन के बीच एक संभावित बड़ा कूटनीतिक विवाद उस समय टल गया, जब लेबर पार्टी की तरफ से हाउस ऑफ लॉर्ड्स के लिए खालिस्तान समर्थक दबिंदरजीत सिंह का नामांकन या तो होल्ड कर दिया गया या फिर पार्टी के नेता Keir Starmer द्वारा वापस ले लिया गया। दरअसल लेबर पार्टी द्वारा हाउस ऑफ लॉर्ड्स अपॉइंटमेंट्स कमीशन के लिए दबिंदरजीत सिंह सिद्धू को लेबर पार्टी द्वारा नामित लोगों में से एक के रूप में प्रस्तावित किया गया था।

माना जा रहा था कि इस नाम के चलते भारत-ब्रिटेन के बीच एक कूटनीतिक विवाद खड़ा हो सकता है लेकिन जब Downing Street द्वारा लिस्ट संबंधित लोगों की जारी की गई, उसमें दबिंदरजीत सिंह का नाम नहीं थी। ऐसे में इस विवाद को विराम भी लग गया है। वहीं ब्रिटेन के सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि अगर दबिंदरजीत सिंह सिद्धू को हाउस ऑफ लॉर्ड्स के लिए नामित कर दिया जाता तो भारत और ब्रिटेन के संबंध ऐसे समय में बिगड़ते जब बोरिस जॉनसन को 26 जनवरी के समारोह के अवसर पर भारत की यात्रा करनी है।

एक अधिकारी का कहना है कि, सिद्धू को नामित किये जाने से भारत-ब्रिटेन सहयोग की नींव को ख़त्म कर देने जैसा होता। इस हालात में ब्रिटेन ने अपनी मिट्टी को भारत और उसकी अखंडता के खिलाफ इस्तेमाल नहीं करने देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।

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