बीजिंग। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अब भारत और ताइवान के लिए चीन की तरफ से बड़ा खतरा पैदा होने के आसार दिख रहे हैं। चीन ने इस साल के अपने रक्षा बजट में भारी बढ़ोतरी का फैसला किया है। चीन इस साल अपने रक्षा बजट में 7.1 फीसदी की बढ़त कर इसे 230 अरब डॉलर का करेगा। वैसे चीन जितना बताता है, उससे ज्यादा ही रक्षा के क्षेत्र में रकम खर्च करता है। चीन के अफसरों ने ये भी कहा है कि वे इस साल सैन्य ट्रेनिंग को व्यापक स्तर पर बढ़ाने जा रहे हैं। बजट के मसौदे को चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अपनी संसद के सामने रखा है। वहां से इसे मंजूरी मिलेगी। इससे पहले चीन ने पिछले साल रक्षा बजट में 6.8 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। चीन के मुकाबले भारत का रक्षा बजट इस साल करीब 70 अरब डॉलर का ही है। इसमें भी ज्यादातर हिस्सा पेंशन पर खर्च होता है।
चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने लिखा है कि इस साल रक्षा बजट में इजाफा चीन पर हो रहे रक्षा खतरों को दिखाता है। अखबार ने लिखा है कि अमेरिका पिछले कुछ साल से चीन पर सैनिक दबाव बढ़ा रहा है। अमेरिका उकसाने के लिए हर महीने अपने युद्धपोत ताइवान के पास भेजता है, जासूसी विमानों की उड़ान कराता है और इससे चीन के लिए दिक्कत पैदा होती है। चीन के सरकारी अखबार ने क्वॉड पर भी निशाना साधा है। उसने कहा कि अमेरिका इस संगठन के जरिए सुरक्षा डायलॉग कर रहा है। इस संगठन में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया के साथ ऑकस समझौता किया है। उसने दावा किया है कि इन दोनों का ही गठन चीन को सेना से घेरने के लिए किया जा रहा है। अखबार ने लिखा है कि भारत के साथ लगती सीमा पर हालात स्थिर हैं और संभाले जाने योग्य हैं, लेकिन कई दौर की बातचीत के बाद अभी भी गतिरोध को दूर किया जाना बाकी है।